कहा जाता है कि रामायणी को अपने गुरु के वचन पर विश्वास था कि वे 20वीं बार में चुनाव जीतेंगे, हालांकि ऐसा नहीं हो पाया। गोविंद नगर स्थित गर्तेश्वर मंदिर के पुजारी ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन का पहला चुनाव लोकसभा सीट से 1977 में लड़ा था, जब देश में इंदिरा गांधी और कांग्रेस के खिलाफ माहौल था।
उन्होंने बताया कि फक्कड़ बाबा रामायणी ने अंतिम चुनाव 2019 में हेमामालिनी के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा। हालांकि उन्हें अपने 17 में से किसी भी चुनाव में कभी जीत हासिल नहीं हुई। यहां तक कि हर चुनाव में उनकी जमानत राशि जब्त हो जाती, लेकिन उन्होंने अपनी लगन कभी नहीं छोड़ी।
उनके शिष्य बताते हैं कि जीवन-यापन का साधन रामायण पाठ और कीर्तन करना था, लेकिन वे दक्षिणा मांगते नहीं थे तथा जो मिलता उसी में संतुष्ट हो लेते। उन्होंने बताया कि वे वर्षों से गर्तेश्वर मंदिर परिसर में ही प्रवास कर रहे थे, वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। आकाशवाणी के निकट स्थित मोक्षधाम पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए उनका अंतिम संस्कार किया गया। (भाषा)