Meerut news in hindi : LLRM मेडिकल कॉलेज एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार कारण बेहद दर्दनाक और शर्मनाक है। ऐसा लग रहा है मानो मेरठ मेडिकल कॉलेज के भाग्य में अपयश का ग्रहण लग गया है। ताजा मामला हसनपुर कला गांव के रहने वाले 30 वर्षीय सुनील कुमार का है, जो पैदल चलते एक अज्ञात वाहन से टक्कर लगने के बाद गंभीर रूप से घायल हो गया, पुलिस ने मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया लेकिन सिस्टम की लापरवाही के चलते उसकी जान चली गई।
जान जाने के बाद परिजनों ने वीडियो दिखाकर रेजिडेंट डाक्टरों को कटघरे में खड़ा कर दिया। वह ड्यूटी पर उपचार देने की जगह कुर्सी और मेज के सहारे सो रहे थे। वीडियो बनता देख दूसरे रेजिडेंट डॉक्टर ने मरीज के परिवार से बदसलूकी की। मृतक परिजन चींख-चींख कर आरोप लगा रहे हैं कि यह मौत हादसे की नहीं, बल्कि डॉक्टरों की घोर लापरवाही की देन है। आरोप की जांच के लिए मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ने तीन सदस्य कमेटी गठित करके दो जूनियर डाक्टरों को निलंबित कर दिया है।
घटना रविवार देर रात की है। सुनील को सिसौली गांव के पास एक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी। पुलिस रात 12:00 बजे उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में लेकर आई। लेकिन जिस इमरजेंसी से उम्मीद थी कि वहां त्वरित इलाज होगा, वहीं सुनील को तड़पते हुए छोड़ दिया गया।
जब घायल की मां, बहन और ग्रामीण अस्पताल पहुंचे तो हैरान रह गए। मरीज दर्द से कराह रहा था, ड्रिप की बोतल सूख चुकी थी और ड्यूटी पर तैनात अटेंडेंट डॉक्टर कुर्सी पर गहरी नींद में सो रहा था। इस पूरे दृश्य का वीडियो भी परिजनों ने बना लिया। जब डॉक्टर को जगाने की कोशिश की गई, तो वह उठने तक को तैयार नहीं हुआ और सुबह इलाज की बात कह कर टालता रहा।
इतना ही नहीं, जब परिजनों ने वीडियो बनाया, तो एक अन्य डॉक्टर मौके पर पहुंचा और पीड़ित परिजनों से बदसलूकी करने लगा। मृतक की बहन ने आरोप लगाया कि उनके साथ अस्पताल स्टाफ ने हाथापाई की और उनके भाई को "लावारिस" बताकर अनदेखा किया, जबकि पूरा परिवार वहां मौजूद था।
परिजनों के मुताबिक, एक टांग की पट्टी तो कर दी गई थी, लेकिन दूसरी टांग से लगातार खून बहता रहा। डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और कहा, इसे दिल्ली ले जाओ, हमारे पास तो इलाज सुबह ही होगा, हाथ-पांव काटने पड़ सकते हैं। सुबह तक खून इतना बह गया कि सुनील ने दम तोड़ दिया।
सुनील की मां बिलखते हुए कहती हैं, मेरे बेटे को दर्द से तड़पता छोड़ दिया गया। मैंने खुद देखा, वह रह-रहकर कह रहा था कि मां बचा लो... लेकिन डॉक्टरों की नींद नहीं टूटी। मेरे सामने मेरे बेटे की सांसें थम गईं।
गांव के प्रधान जग्गी भी सुबह 3 बजे अस्पताल पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि उस वक्त भी स्टाफ नींद में था और मरीज की हालत बेहद नाजुक थी। उन्होंने इस अमानवीयता पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
मामले के तूल पकड़ने के बाद एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आरसी गुप्ता ने ऑर्थोपेडिक्स विभाग के दो रेजिडेंट डॉक्टर - डॉ. अनिकेत और डॉ. भूपेश राय को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है, जो तीन दिन में पूरी रिपोर्ट सौंपेगी। वहीं जब यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आया तो जिलाधिकारी ने जांच के लिए मेडिकल कॉलेज टीम भेजी, एडीएम सिटी बृजेश कुमार और मुख्य चिकित्सा अधिकारी अशोक कटारिया जांच के लिए मेरठ मेडिकल कॉलेज पहुंचे। मृतक सुनील जिस हसनपुर कलां गांव का है वहां के ग्राम प्रधान जग्गी ने मेडिकल कॉलेज में हुई लापरवाही के सबूत जांच टीम को दिये। जिसके आधार पर डीएम द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने प्रारंम्भिक तौर लापरवाही की रिपोर्ट दी है।
इस घटना ने एक बार फिर मेडिकल व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या अस्पताल अब सिर्फ इमारतें रह गई हैं, जहां संवेदनशीलता, ज़िम्मेदारी और ज़िंदगी की कीमत नींद से कमतर हो गई है? सुनील की मौत सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि उस भरोसे की मौत है जो लोग एक डॉक्टर पर करते हैं।