सत्तर, अस्सी और नब्बे के दशक में मुंबई पर अंडरवर्ल्ड का खौफनाक साया था। अंडरवर्ल्ड के भाई और डॉन इतने पॉवरफुल हो गए थे कि एक तरह से समानांतर सरकार चल रही थी और इनसे निपटना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर था। इनका दबदबा इतना था कि आम लोग डर कर रहते थे। अंडरवर्ल्ड से कई कहानियां निकली जिन पर ढेर सारी फिल्में बनीं, लेकिन अभी भी कुछ अनकही कहानियां बची हैं।
यह डॉक्यूमेंट्री पुलिस के नजरिये से दिखाई गई है कि कैसे पुलिस ने इस कठिन चुनौती से पार पाया। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा का नैरेशन है जिन्होंने कई गैंगस्टर्स का एनकाउंटर किया था। चूंकि वे फील्ड में रहे हैं, रणनीति बनाई हैं और खतरनाक गैंगस्टर्स का सामना किया है इसलिए उनकी बातें बेहद विश्वसनीय और सटीक लगती हैं।
दाउद और डी-कंपनी के उदय के बाद स्थिति बेहद गंभीर हो गई थी। आए दिन धमकी, हत्या, लूटपाट आम बात हो गई थी और कुछ पुलिस ऑफिसर्स ने मामले को अपने हाथ में लेकर गंदगी को समाप्त करने का निश्चय किया था। प्रदीप शर्मा के अलावा रविन्द्र आंग्रे और आफताब अहमद खान जैसे ऑफिसर्स की भी चर्चा है। पत्रकार हुसैन ज़ैदी जिन्होंने इस विषय पर काफी लिखा है उनके विचार भी लिए गए हैं और उनकी बातें सुनना भी अच्छा लगता है।