वो रिश्ते ही हैं जो हमें जिम्मेदारियों का अहसास कराते हैं। पीढि़याँ दर पीढि़याँ बढ़ती जाती हैं और हम रिश्तों के पायदानों पर चढ़ते जाते हैं। पहले माँ-बाप फिर सास-ससुर फिर दादा-दादी... यह क्रम कभी थमता नहीं।
माँ-बाप बनना जीवन के सुखद अनुभवों में से होता है परंतु जिम्मेदारियाँ बढ़ने का अहसास भी हमें सताता है। नौनिहाल के आगमन की खुशियों को पूरी तरह से जीने के लिए आवश्यक है- 'प्रापर प्लानिंग की', जिससे कि हम आने वाली हर तकलीफ के लिए पहले से ही तैयार रह सकें।
यदि आप पहली बार माता-पिता बनने जा रहे हैं तो सबसे पहले इसके लिए स्वयं को मानसिक रूप से तैयार रखें व अपने जीवनसाथी को भी हिम्मत बँधाएँ। यह ऐसा दौर होता है जब पत्नी को अपने पति की आवश्यकता सबसे अधिक होती है।
पहली बार माता-पिता बनने का अनुभव दुनिया का सबसे सुखद अनुभव होता है। इस दिन आपके सपने एक नन्हे शिशु के रूप में हकीकत बनते हैं। तो क्यों न इस अनुभव को अपने जीवनसाथी के साथ बाँटें तथा नए उत्साह के साथ अपने जीवन की शुरुआत करें।
यही वह सही वक्त होता है जब पति-पत्नी अपने अनुभव बाँटते हैं और आने वाले नन्हे मेहमान के स्वागत की तैयारियाँ करते हैं।
पत्नी को जहाँ नौ माह तक कई प्रकार के शारीरिक बदलावों व तकलीफों का सामना करना पड़ता है वहीं मानसिक रूप से भी उसे अपने जीवनसाथी के सहयोग की आवश्यकता होती है।
* घर में खुशनुमा माहौल बनाएँ :- बच्चे पर माता-पिता का प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान तनाव व विवाद महिला व गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए खतरनाक होता है। इन दिनों बीते विवादों को भूलकर घर में एक खुशनुमा माहौल बनाएँ।
* सकारात्मक सोचें :- सकारात्मक सोच हमें तनावों से दूर रखती है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सकारात्मक सोच रखनी चाहिए तथा यह सोचना चाहिए कि आगे जो भी होगा अच्छा ही होगा। पति को भी इस कार्य में अपनी जीवनसंगिनी का साथ देना चाहिए।
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* अपनी कलात्मकता को निखारें :- महिलाएँ इस दौरान स्वयं को व्यस्त रखें। यदि आपकी रुचि लेखन में है तो अपनी प्रतिभा को नया आयाम दें।
डायरी लिखने की शौकीन महिलाएँ अपने अनुभवों को डायरी में लिख सकती हैं। जीवन के किसी मोड़ पर जब आप इसे पड़ेंगी तो आपको एक सुखद अनुभूति होगी।
* पत्नी को खुश रखें :- गर्भावस्था के दौरान पति को पत्नी का साथ निभाना चाहिए। यही वह वक्त होता है जब पत्नी को मानसिक रूप से पति के सहयोग की बहुत अधिक आवश्यकता होती है।
पत्नी का मन बहलाने के लिए आप उसे कहीं बाहर घुमाने ले जाएँ। यह ऐसा वक्त होता है जो हमेशा याद रहता है तो क्यों न दोनों साथ मिलकर इन पलों को यादगार बनाएँ।
* रेग्यूलर चेकअप कराएँ :- गर्भावस्था के दौरान चिकित्सक की सलाह को नजरअंदाज करना आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। अत: चिकित्सक के निर्देशानुसार चेकअप कराने जरूर जाएँ।
इसे आज या कल में न टालें क्योंकि कई बार सब कुछ ठीक होते हुए भी ऐन वक्त पर कुछ ऐसे कॉम्प्लिकेशन्स पैदा हो जाते हैं। जिससे डिलेवरी में परेशानी पैदा हो सकती है इसलिए समय-समय पर सोनोग्राफी व अन्य जाँच कराने से गर्भस्थ शिशु की सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
* अपने बड़ों की सलाह मानें :- गर्भस्थ महिलाओं को चाहिए कि उन्हें गर्भावस्था के दौरान अपने अनुभवों व तकलीफों को घर की बड़ी महिलाओं या अपनी मित्र के साथ बाँटना चाहिए। हमारे घर की बड़ी अनुभवी महिलाओं की सलाह हमारे लिए फायदेमंद हो सकती है।
* बजट बनाकर चलें :- कामकाजी महिलाओं को इस दौरान अपने ऑफिस से अवकाश लेना पड़ता है। ऐसे में सारा आर्थिक भार पति पर ही आ जाता है। समझदार दंपति को चाहिए कि आने वाले जरूरी खर्चे जैसे डिलेवरी आदि के लिए पहले से बजट बनाकर चलें जिससे कि ऐन वक्त पर परेशानियों का सामना न करना पड़े।
* इस अनुभव को यादगार बनाएँ :- पहली बार माता-पिता बनने का अनुभव दुनिया का सबसे सुखद अनुभव होता है। इस दिन आपके सपने एक नन्हे शिशु के रूप में हकीकत बनते हैं। तो क्यों न इस अनुभव को अपने जीवनसाथी के साथ बाँटें तथा नए उत्साह के साथ अपने जीवन की शुरुआत करें।