सूर्य नमस्कार और चंद्र नमस्कार में क्या अंतर है?
जहां सूर्य नमस्कार ऊर्जावान होता है, वहीं चंद्र नमस्कार शरीर को शांत और ठंडा रखने में मदद करता है, एक सुखदायक प्रभाव देता है। इसमें भी सूर्य नमस्कार की तरह 12 आसन किए जाते हैं, लेकिन चंद्र नमस्कार में शरीर को आगे की ओर मोड़ने के बजाय, साइड से मोड़ा जाता है।
चंद्र नमस्कार कैसे करें?
चंद्र नमस्कार की शुरुआत भी खड़े हुए, नमस्कार मुद्रा से होती है। फिर माउंटेन मुद्रा की जाती है, जिसमें हाथों को कंधों की सीध में ऊपर उठाकर फैलाया जाता है, लेकिन पैरों को जमीन से नहीं उठाना होता है। इसके बाद त्रिकोणासन किया जाता है। चंद्र नमस्कार में बाईं ओर से शुरू करके 12 चरण किए जाते हैं, फिर दाईं ओर 12 चरण। हालांकि, इसे बाईं ओर से शुरू करके बाईं ओर ही समाप्त किया जाता है, क्योंकि यह चंद्र नमस्कार है। त्रिकोणासन के बाद स्कॉट पोज होता है, और फिर सूर्य नमस्कार की तरह, मलासन, पश्चिमोत्तासन आदि आसन क्रम से किए जाते हैं।
चंद्र नमस्कार के क्या फायदे हैं?
चंद्र नमस्कार करने से शरीर को ठंडा और शांत रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह शरीर की लचीलापन बढ़ाता है और पाचन क्रिया में सुधार करता है, जिससे कब्ज, गैस जैसी समस्याओं से बचाव होता है। कमर दर्द से पीड़ित लोगों के लिए भी यह फायदेमंद है, जबकि कमर दर्द के किसी भी रोग से पीड़ित व्यक्ति को सूर्य नमस्कार करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें शरीर को आगे की ओर मोड़ना पड़ता है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए भी चंद्र नमस्कार बेहद फायदेमंद होता है।