वृषभ राशि पृथ्वी तत्व प्रधान राशि है। पृथ्वी तत्व का अधिमित्र जल, मित्र अग्नि, वायु शत्रु है। पृथ्वी तत्व प्राधान अन्य राशियां कन्या और मकर से इनकी मित्रता रहती है। जल तत्व राशियों में कर्क और मीन आती है और अग्नि तत्व राशियों में सिंह, मेष आती है। वायु तत्व राशियों में मिथुन, तुला व कुंभ राशियां आती है। लेकिन हमें राशि तत्व के अलावा राशि ग्रह भी देखना होगा। ग्रहों के मित्रता के अनुसार...
1.बन सकते हैं ये मित्र : इस राशि का स्वामी शुक्र है। शुक्र की शनि से मित्रता है। मतलब शनि की मकर एवं कुंभ राशि वालों से भी इनकी मित्रता अच्छी रहती है, लेकिन कुंभ राशि के लोग इनकी इच्छाओं, भविष्य तथा सामाजिक स्थिति को प्रभावित करते हैं इसलिए इस राशि से इनकी मित्रता की कोई गारंटी नहीं। हालांकि यह भी कहा जाता है कि शुक्र की राशि तुला से भी इनकी मित्रता बन सकती है लेकिन इसकी भी कोई गारंटी नहीं। मतबल यह कि वृषभ राशि वाले चाहे तो कन्या, मकर, तुला और कुंभ से अपनी मित्रता निभा सकते हैं।
2.इनसे भी पटरी बैठा सकते हैं : बुध की मिथुन एवं कन्या राशि वालों से इनकी मित्रता सामान्य रहती है। दूसरी ओर मंगल की मेष राशि वालों से मत-विभिन्निता होते हुए भी मित्रता बनाई जा सकती है। कर्क से भी भी इनके सामान्य संबंध रह सकते हैं। मतलब यह कि मिथुन, कन्या, कर्क और मेष से इनके संबंध सामान्य बने रह सकते हैं।
3.इनसे रहती है घटास : शुक्र ग्रह का मंगल शत्रु है और गुरु और केतु से कम ही बनती है अत: इस ग्रह की राशि वालों से भी बनना मुश्किल है। मतलब मंगल की मेष और वृश्चिक, गुरु की धनु और मीन राशि से इनकी पटरी बैठ भी जाती है तो प्रेम एकतरफा रहेगा। हालांकि कहा जाता है कि इन तीन राशि सिंह, धनु और मीन राशि वालों से इनकी शत्रुता रहती है। कुछ लोग मेष और तुला का नाम भी लेते हैं।
निष्कर्ष : वृषभ राशि का स्वामी ग्रह शुक्र होता है। शुक्र की शनि से अधिमित्रता, मंगल से मित्रता, बुध, राहु, सूर्य और चंद्रमा से सामान्य या सम, गुरु और केतु से शत्रुता रहती है। मतलब यह की गुरु की धनु और मीन राशि से इनकी नहीं बन सकती, दूसरी ओर सिंह राशि को भी वृषभ राशि की शत्रु राशि माना जाता है। तो यह तीन राशि मुख्य है, धनु, मीन और सिंह।