आधुनिक भारतीय रंगमंच की महान हस्ती और 'थिएटर ऑफ़ रूट्स' आंदोलन के एक प्रमुख स्तंभ माने जाने वाले, थियम का नाट्य कलाओं में योगदान लगभग पांच दशकों तक रहा। उन्होंने प्राचीन थिएटर को आगे बढ़ाया। इसके लिए रतन थियम ने नाटकों को लिखने और मंचनका काम किया।
थियम को कई पुरस्कार भी मिले। उन्हें निर्देशन के लिए 1987 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और बाद में 2012 में प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप से सम्मानित किया गया। साल 1989 में, भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। उनकी अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों में इंडो-ग्रीक फ्रेंडशिप अवार्ड (1984), जॉन डी. रॉकफेलर अवार्ड (2008), और मेक्सिको तथा ग्रीस के समारोहों में प्राप्त सम्मान शामिल हैं।