इंटेलीजेंस ब्यूरो के एसएस दीवान (सनी देओल) का एक ही धर्म है ड्यूटी। उन्हें खबर मिलती है कि शहर में एक खतरनाक आतंकी हनीफ (करण कपाड़िया) घुस आया है। उस पर नजर रखी जाती है।
हनीफ का एक्सीडेंट हो जाता है और उसकी याददाश्त चली जाती है। हनी एक जीता-जागता बम है। उसके सीने पर एक बम लगा है जिसके बारे में उसे भी नहीं पता है कि यह सब कैसे और क्यों हुआ। हनीफ की धड़कन रूकी और बम फटा।
सभी के सामने अजीब सी उलझन आ जाती है। ऑर्डर मिलते हैं कि सुनसान जगह पर जाकर हनीफ को गोली मार दो, लेकिन दीवान इसके लिए तैयार नहीं हैं।
आखिर हनीफ के पीछे कौन है? दीवान को क्या शक है? कैसे बम और हनीफ को अलग किया जाएगा? इसके जवाब मिलते हैं फिल्म 'ब्लैंक' में।
इस फिल्म से करण कपाड़िया बॉलीवुड में अपनी शुरुआत करने जा रहे हैं। वे सिम्पल कपाड़िया के बेटे हैं जो अस्सी और नब्बे के दशक में कुछ फिल्मों में नजर आई थीं। सिम्पल और डिम्पल कपाड़िया बहनें हैं। सिम्पल की कैंसर के कारण मृत्यु होने के बाद डिम्पल ने ही करण की देखभाल की।