वॉशिंगटन। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है कि कोविड के कारक सार्स-सीओवी-2 वायरस के गुणन को रोकने में 2 बेहद सामान्य दवाएं कारगर हैं। अमेरिका के फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इन दवाओं के कॉम्बिनेशन में एलर्जी के इलाज में प्रयुक्त होने वाली एंटीहिसटामिइन दवा डाइफेनहाइड्रैमीन भी शामिल है।
उन्होंने बताया कि बंदरों की कोशिकाओं और मनुष्य के फेफड़े की कोशिकाओं पर जांच के दौरान यह पता चला कि उक्त दवा को अगर गाय और मां के दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन 'लैक्टोफेरिन' के साथ मिलाया जाए तो वह सार्स-सीओवी-2 के प्रसार को रोकती है।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार लैक्टोफेरिन का उपयोग सामान्य तौर पर पेट और आंतों के अल्सर सहित कई बीमारियों के इलाज में होता है। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डेविड ए. ऑस्ट्रोव ने कहा कि हमने पता लगाया है कि कोविड-19 के कारक वायरस पर कुछ दवाएं प्रभावी क्यों हैं। फिर हमने एक एंटीवायरल खोजा, जो प्रभावी हो सकता है, वह सस्ता है और उसके सुरक्षित होने का लंबा इतिहास भी है।
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि मनुष्यों और बंदरों की कोशिकाओं पर प्रयोगशाला में जांच के दौरान इन दवाओं का कॉम्बिनेशन बेहद प्रभावी रहा। अलग-अलग दी जाने पर ये दवाएं सार्स-सीओवी-2 वायरस के गुणन को करीब 30 प्रतिशत तक रोक पाती हैं, लेकिन साथ मिलकर यह वायरस के गुणन को करीब 99 प्रतिशत तक रोक पा रही हैं। इस अध्ययन का निष्कर्ष 'पैथेजेन' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस दवा की मदद से कोविड-19 के इलाज में तेजी आ सकती है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि कोविड-19 को रोकने में इनकी प्रभावकारिता पर आगे का अनुसंधान जारी है।