मानस महाकाव्य है, जिसमें श्रीराम के पूरे जीवन का वर्णन है। गुसाईं जी ने मानस चौपाइयों, दोहों, सोरठों तथा छंदों के माध्यम से सुंदर वर्णन किया है। मानस 7 खंडों में विभाजित है, जिन्हें कांड कहा जाता है। ये कांड हैं- बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड। मानस के सुंदरकांड का तो बहुत से घरों में नियमित या प्रति मंगलवार, शनिवार को पढ़ा और सुना जाता है। जिस समय तुलसी ने रामचरित मानस की रचना की थी, उस समय मुगलों का राज्य था। उस समय की सामाजिक परिस्थितियां वर्तमान समय से बिलकुल भिन्न थीं। तुलसी की रामचरितमानस का आधार वाल्मीकिकृत रामायण है।