World Hindi Day: आखिर कैसे हिन्‍दी बनी देश की राजभाषा?

Webdunia
रविवार, 9 जनवरी 2022 (13:51 IST)
10 जनवरी को विश्‍व हिन्‍दी दिवस है, पूरे विश्‍व में हिन्‍दी दिवस मनाया जाता है, ठीक इसी तरह 14 सितंबर को हिन्‍दी दिवस मनाया जाता है, क्‍योंकि इसी दिन साल 1949 में हिन्‍दी को राजभाषा का दर्जा मिला था।

इसके बाद से हर साल 14 सितंबर को 'हिन्‍दी दिवस' मनाया जाता है। जबकि 10 जनवरी को विश्‍व हिन्‍दी दिवस मनाया जाता है, लेकिन इस मौके पर यह जानना जरुरी है कि हिन्‍दी भाषा की विशेषता क्‍या है और कैसे यह देश की राजभाषा बनी।

यूं बनीं हिन्‍दी राजभाषा
साल 1947 में जब अंग्रेजों की गुलामी से जब भारत आजाद हुआ तो उसके सामने भाषा को लेकर सबसे बड़ा सवाल था। दरअसल, भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं।

6 दिसंबर 1946 में आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान का गठन हुआ। संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी। आजाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ। इसमें सवाल यह था कि भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाए।

काफी सोच विचार और बहस के बाद हिन्‍दी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया। संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को अंग्रेजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी।

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिन्‍दी दिवस मनाया जाए। बता दें पहला हिन्‍दी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था।

अंग्रेजी को लेकर क्‍यों हुआ विरोध
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिन्‍दी ही भारत की राजभाषा होगी। अंग्रेजी भाषा को हटाए जाने की खबर पर देश के कुछ हिस्सों में विरोध प्रर्दशन शुरू हो गया था। तमिलनाडू में जनवरी 1965 में भाषा विवाद को लेकर दंगे हुए थे। साल 1918 में महात्मा गांधी ने हिन्‍दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था, इसे गांधीजी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।

हिंदी के बारे में कुछ तथ्‍य

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