देवनारायण जयंती पर जानिए उनके बारे में 5 रोचक बातें

WD Feature Desk

शनिवार, 1 फ़रवरी 2025 (16:26 IST)
lok devta devnarayan ji Jayanti 2025:  देवनारायण भगवान राजस्थान के लोक देवता हैं। उन्हें विष्णु का अवतार माना जाता है। कहते हैं कि वे गुर्जनर समाज के महान योद्धा थे और उन्होंने अपना सारा जीवन लोक कल्याण भी ही लगा दिया था। उनका दूसरा नाम उदयसिंह देव था। राजस्‍थान के अलावा में मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में ही रहे हैं। उनका जन्म माघ माह के शुक्ल पक्ष को षष्ठी तिथि के दिन आता है। इस माह 4 फरवरी 2025 को उनकी जयंती है। 
 
1. देवनारायण जी का जन्म और समाज: देवनारायण जी का जन्म राजस्थान के मालासेरी में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा भोज (सवाई भोज- वीर भोजा) और माता का नाम साढू खटानी था। उनकी पत्नी नाम रानी पीपलदे था। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने बैसाला समुदाय की स्थापना की थी। देवनारायण जी बगडावत वंश के थे। अजमेर में रहने वाले चौहान राजाओं द्वारा बगडावतों को गोठा जोकि एक स्थान है वह सौंप दिया गया था। आज के समय में गोठा भीलवाड़ा से अजमेर जिले के आसपास का क्षेत्र है। बगडावत अपने सभी भाइयों के साथ वहां पर अच्छे से बस गए थे। वे इतने वीर थे कि उनकी चर्चाएं मेवाड़ तक फैली हुई थी। इस वंश के सबसे पहले राजा हरिराव थे जिनके पुत्र का नाम था बाघराव और इनके 24 पुत्र थे जिनमें से एक देवनारायण जी के पिता यानि कि सवाई भोज (राजा भोज) थे।  
 
2. देवनारायण का हुवा देवास में पालन पोषण: देवनारायण जी की माता इनके पिता की दूसरी पत्नी थी। इनकी माता के गुरु रूपनाथ ने उन्हें वे बताया कि उनके गर्भ में जो पुत्र है वह महान व्यक्ति होगा और अन्याय व अत्याचार के खिलाफ लड़ेगा। जब यह बात राणा दुर्जनसाल को पता चली तो उसने उन्हें मारने का निर्णय लिया। यह बात देवनारायण की माता को जब पता चली तो बालक को जन्म देने के बाद वह छिपने के लिए मालासेरी अपने मायके देवास चली गई। देवास में ही देवनारायण जी का पालन पोषण हुआ। उन्होंने वहीं घुड़सवारी एवं हथियार चलाना सीखा और बाद में उन्होंने भगवान की साधना हेतु शिप्रा नदी के किनारे जाकर एक स्थान पर साधना करना शुरू कर दी। वह स्थान वहीं पर एक सिद्धवट नाम का है। साधना और सिद्धि के बाद देवनारायणजी ने लोक कल्याण हेतु कई कार्य किए।
 
3. देवनारायण जी के चमत्कार: देवनारायण जी ने अनेक चमत्कार भी दिखाए। जैसे धार के रहने वाले राजा जयसिंह की बीमार पुत्री पीपलदे को एकदम ठीक देना और उसके बाद उन्हीं के साथ उनका विवाह भी हुआ। इसके अलावा उन्होंने सूखी नदी में पानी पैदा करना, सारंग सेठ को पुनर्जीवित कर देना, छोंछु भाट को जीवित करना जैसे कई चमत्कार दिखाए जिसके चलते वे लोक जीवन में लोक देवता बन गए। उनके इसी तरह के कई चमत्कारों के चलते ही उनके अनुयायी उन्हें भगवान विष्णु का अवतार कहते थे। 
 
4. देवनारायण की फड़: देवनारायण जी एवं उनके पूर्वजों की गाथाओं को ना केवल 'देवनारायण की फड़' में दर्शाया गया है, बल्कि 'बगडावत महाभारत' में भी इनकी कहानी को बहुत अच्छे तरीके से दर्शाया गया है। देवनारायण जी के काव्य 'बगडावत महाभारत' बहुत ही विशाल है। इसे प्रतिदिन 3 पहर में गाया जाता हैं तब जाकर यह 6 महीने में पूरी हो पाती है।
 
5. पूजा स्थल: देवनारायण जी का जो सबसे सिद्ध पूजा स्थल है वह भीलवाड़ा जिले के पास स्थित आसींद में है और हर साल उनकी जन्म तिथि के दिन यहां पर खीर एवं चूरमा का भोग लगाकर उनकी पूजा की जाती है। देवनारायण जी का अन्य पूजा स्थल जोधपुरिया में भी स्थित है, जोकि उनका देवधाम भी कहा जाता है। यह क्षेत्र टोंक जिले में स्थित हैं।
 
देवनारायण जी केवल 31 वर्ष के थे तब उनका देहवसान हो गया। वैसाख के शुल्क पक्ष की तृतीय तिथि थी जिस तिथि को अक्षय तृतीय भी कहा जाता है, तो कुछ कहते हैं कि वे भाद्रपद की शुल्क पक्ष की सप्तमी के दिन बैकुंठ वासी बने थे।
- अनिरुद्ध जोशी

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