sai baba : आज शिर्डी के साईं बाबा की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। मान्यतानुसार सन् 1918 में विजयादशमी या दशहरे के दिन उन्होंने समाधि ली थी, उस दिन तारीख 15 अक्टूबर थीं। आइए जानते हैं यहां उनके बारे में...
शिरडी साई बाबा के बारे में जानें : शिर्डी के साईं बाबा एक चमत्कारिक संत हैं। मान्यतानुसार उनकी समाधि पर जो भी गया वह खाली हाथ नहीं आया, हमेशा झोली भरकर ही लौटा है। हालांकि उनका जन्म और जाति एक रहस्य है, लेकिन माना जाता है कि श्री साईं बाबा का जन्म महाराष्ट्र के (जिला परभणी) के पाथरी गांव में 27 या 28 सितंबर 1830 को हुआ था। जहां साईं के जन्म स्थान पाथरी पर एक मंदिर भी बना है, वहां साईं की आकर्षक मूर्ति रखी हुई है। यह उनका निवास स्थान है, जहां पुरानी वस्तुएं जैसे बर्तन, घट्टी और देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं।
जब साईं बाबा घूमते-फिरते शिर्डी पहुंचे, तब नीम के पेड़ के नीचे बने चबूतरा पर बैठते तथा भिक्षा मांगने के बाद बाबा वहीं बैठे रहते थे। तथा लोगों के पूछने पर कहते थे कि यहां मेरे गुरु ने ध्यान किया था, इसलिए मैं यहीं विश्राम करता हूं। कुछ लोगों द्वारा उनका उपहास उड़ाने पर उन्होंने ग्रामीणों से कहकर उस स्थान पर खुदाई कराई तो उन्हें एक शिला के नीचे 4 दीप जलते हुए मिले थे, इसी तरह साईं बाबा ने अपने जीवन में कई चमत्कार बताए थे।
शिर्डी के साईं बाबा की पुण्यतिथि कब आती है : कहा जाता है कि साईं बाबा ने अपने भक्तों से कहा था कि दशहरा का दिन उनके दुनिया से विदा होने के लिए सबसे अच्छा दिन है और इसका संकेत भी उन्होंने पहले ही दे दिया था, जहां शिर्डी में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली थी। अपने भक्तों के बीच 'शिर्डी' नाम से महाराष्ट्र राज्य का प्रसिद्ध स्थल है। जो साईं बाबा का स्थान है और 'सबका मालिक एक' नाम से जाना जाता है। इसी स्थान पर श्री साईं बाबा ने 15 अक्टूबर सन् 1918 में दशहरे के दिन दोपहर के समय अंतिम सांस ली थी।
माना जाता है कि 27 सितंबर 1918 को साईं बाबा के शरीर का तापमान बढ़ने लगा, तब उन्होंने अन्न-जल सब कुछ त्याग दिया था। तथा उनके समाधिस्त होने के कुछ दिन पहले ही तात्या की तबीयत इतनी बिगड़ी कि उनका जिंदा रहना नामुमकिन लग रहा था, जो बैजाबाई के पुत्र थे और बैजाबाई साईं बाबा की परम भक्त थीं, अत: उसकी जगह साईं बाबा ने 15 अक्टूबर 1918 को अपने नश्वर शरीर का त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए। उस दिन विजयादशमी यानि दशहरा का दिन था। इस तरह साईं बाबा ने शिर्डी में 15 अक्टूबर दशहरे के दिन 1918 में समाधि ले ली थी।
साईं बाबा के चमत्कारिक मंत्र : अपने सभी भक्तों की मनोकामना शिर्डी के साईं बाबा शीघ्र ही पूर्ण करते हैं। अत: साईं की आराधना प्रतिदिन या गुरुवार को तो अवश्य ही करनी चाहिए, किंतु यदि आप दशहरे के दिन साईं मंत्रों का जाप नहीं कर पाए हैं तो आज इन विशेष मंत्रों का जाप करें, इससे आपके जीवन के सभी दु:ख, परेशानियां, कष्ट आदि दूर तो होंगे ही साथ ही आपको निरंतर उन्नति के नए रास्ते भी मिलेंगे। पढ़ें मंत्र-
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।