भारतीय टीम ने अन्डर-19 महिला टी-20 विश्व कप में रविवार को दक्षिण अफ्रीका को 9 विकेट से हराते हुए लगातार दूसरी बात जीत अपने नाम की। फाइनल मुकाबले में इंदौर की बेटी आयुषी शुक्ला ने भी अहम योगदान दिया। उन्होंने चार ओवर में दो विकेट लेकर मात्र 9 रन दिए।
इंदौर की बेटी हैं आयुषी, पिता करते हैं पंडिताई
आयुषी इंदौर की रहने वाली हैं। आयुषी के पिता लालजी शुक्ला पंडिताई के माध्यम से अपना जीवनयापन करते हैं। एक बार वे पूजन के लिए पूर्व भारतीय महिला कप्तान संध्या अग्रवाल के घर गए थे तब उन्हें देखकर लालजी शुक्ला को अपनी बेटी को भी क्रिकेटर बनाने के लिए प्रोत्साहन मिला। वे बताते हैं कि उनका निवास देवगुराड़िया क्षेत्र में है जहां से जिमखाना मैदान की दूरी लगभग 10 किमी की है। उनके अनुसार पहले आयुषी साइकिल से जाती थी, जिसे लेकर उनकी मां को बहुत चिंता होती थी लेकिन फिर उन्होंने और आयुषी के भाई ने साथ जाना शुरू किया और अब वे जब तक आयुषी मैदान में रहकर प्रेक्टिस करती है, वहीं पर रहते हैं।
घर पर है खेल का माहौल, भाई भी है बॉक्सर
आयुषी के पिता लालजी शुक्ला बताते हैं कि उनके घर में शुरू से ही क्रिकेट देखने का शौक रहा है। पूरे परिवार में खेलों को प्रोत्साहित किया जाता है। उनके बड़े बेटे भी एक बॉक्सर हैं। लालजी शुक्ला को क्रिकेट इतना पसंद है कि उनकी हमेशा से इच्छा रही है कि उनके घर से भी कोई भारतीय टीम में सेलेक्ट हो और वह अपने बच्चों को टीवी पर बाकी क्रिकेटर्स की तरह देख सकें।
आयुषी की सफलता पर क्या कहा पिता ने: आयुषी के पिता ने उन्हें 9 वर्ष की आयु से ही क्रिकेट खेलने भेजना शुरू कर दिया था। पिता के अनुसार आयुषी लेफ्ट आर्म बैट्समैन अच्छी है और विकेट भी अच्छे से संभालती है। परिवार के अनुसार खेल के साथ-साथ आयुषी पढ़ाई में भी होशियार है।
आसन नहीं थी सफलता की राह: आयुषी की सफलता की राह आसान नहीं थी। उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से अपने सपने को पूरा किया है। उनके माता-पिता ने भी हमेशा उनका साथ दिया और उन्हें प्रोत्साहित किया। आयुषी की कहानी उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं। आयुषी शुक्ला की सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं। वह अपनी मेहनत और लगन से किसी भी मुकाम को हासिल कर सकती हैं। आयुषी की कहानी देश की सभी लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत है।
Edited by: Garima Mudgal