भूकंप से म्यांमार में 20 की मौत, तेज झटकों से दहला थाईलैंड

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शुक्रवार, 28 मार्च 2025 (12:44 IST)
Earthquake news in hindi : म्यांमार में शुक्रवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्कैल पर भूकंप की तीव्रता 7.7 मापी गई। इससे लोगों में दहशत फैल गई। भूकंप से म्यांमार में 20 लोगों की मौत हो गई। पड़ोसी थाईलैंड तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। यहां 47 लोग लापता है। 

मीडिया खबरों के अनुसार, भूकंप ने म्यांमार और थाईलैंड में भारी तबाही मचाई। बैंकाक में एक निर्माणाधिन इमारत गिर गई तो म्यांमार में भी एक पुल समेत कई इमारतों के ध्वस्त होने की खबर है।

ग्रेटर बैंकॉक क्षेत्र की आबादी 170 लाख से अधिक है जिनमें से कई लोग ऊंची इमारतों वाले अपार्टमेंट में रहते हैं। दोपहर करीब डेढ़ बजे भूकंप आने पर इमारतों में अलार्म बजने लगे और घनी आबादी वाले मध्य बैंकॉक की ऊंची इमारतों एवं होटल से लोगों को बाहर निकाला गया।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.2 मापी गई। जर्मनी के जीएफजेड भूविज्ञान केंद्र के अनुसार, भूकंप का केंद्र म्यांमार में था। दोपहर को यह भूकंप 10 किलोमीटर की गहराई पर आया। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी भूकंप की वजह से इमारतें हिल गईं।

क्यों आते हैं भूकंप : होलकर विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. राम श्रीवास्तव वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि पृथ्‍वी पर भूकंप हमेशा आते ही रहते हैं। लगभग 30 से 35 भूकंप रोज आते हैं, लेकिन इनकी तीव्रता 2.5 और 3 रहने के कारण या तो ये महसूस ही नहीं होते या फिर बहुत हलके महसूस होते हैं।
 
दरअसल, जैसे हमारे घर के ऊपर छत होती है, उसी तरह जमीन के नीचे भी एक छत है, जिसे बेसाल्टिक लेयर कहते हैं। इतना ही नहीं प्रायद्वीपों की प्लेट परस्पर टूट गई हैं, इनमें दरारें आ गई हैं। जब ये प्लेट्‍स (टेक्टोनिक) एक दूसरे से टकराती हैं साथ ही जब इनके टकराने की गति तेज हो जाती है तो चट्‍टानें हिल जाती हैं। इसके कारण ही भूकंप आता है। सामान्यत: 3-4 की तीव्रता में नुकसान नहीं होता, लेकिन जब भूकंप 5-6-7 या इससे अधिक की तीव्रता का होता है तो नुकसान ज्यादा होता है। 
 
श्रीवास्तव कहते हैं कि हिमालय का निर्माण ही प्लेटों के टकराने से हुआ था। द्वापरकालीन द्वारका नगरी भी भूकंप के कारण ही समुद्र में समा गई थी। हिन्दूकुश पर्वत से लेकर नॉर्थ ईस्ट एरिया भूकंप संवेदनशील क्षेत्र में आता है, जहां भूकंप आते रहते हैं। भूकंप की भविष्यवाणी अत्यंत असंभव है। कहते हैं कि सूर्य की लपटें जब निकलती हैं तो वे अपर एटमास्फेयर से टकराती हैं तो भूकंप आता है। हालांकि इसकी भी पुष्टि नहीं है। 
कैसे बचें आपदा से : डिजास्टर मैनेजमेंट विशेषज्ञ डॉ. अनिकेत साने कहते हैं कि 2001 में गुजरात में आए भूकंप के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा था। कच्छ क्षेत्र की 50 से 60 प्रतिशत इमारतें तबाह हो गई थीं। उन्होंने कहा कि भूकंप की पहले से भविष्यवाणी तो नहीं की जा सकती, लेकिन बचने के लिए प्री-अर्थक्वेक डिजास्टर प्लान तो तैयार कर ही सकते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि भूकंप से किसी की मृत्यु नहीं होती। इमारतों के मलबे में दबने से ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है। हमें इसके लिए भूकंप रोधी मकानों का निर्माण करना चाहिए। भूकंप रोधी इमारतों का निर्माण करने के लिए रेक्ट्रोफीलिंग मटेरियल का उपयोग किया जाता है। सरकार ने भी इसके लिए गाइडलाइंस जारी की है।
 
भूकंप से बचने के लिए सूत्र वाक्य का उल्लेख करते हुए साने कहते हैं कि भूकंप के समय रुको, झुको, ढको और बचो की नीति अपनानी चाहिए। हमें भूकंप के समय टेबल के नीचे घुसकर, या चौखट के नीचे खड़े होकर खुद को बचाना चाहिए। सिर बच जाता है तो बचने की उम्मीद बढ़ जाती है। 
edited by : Nrapendra Gupta 

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