चीन एनएसजी का अहम सदस्य है और वह भारत की सदस्यता पर यह कह कर लगातार अड़ंगा डालता आ रहा है कि भारत ने परमाणु अप्रसार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। चीन के विरोध ने 48 सदस्यों वाले इस समूह में भारत की सदस्यता को मुश्किल बना दिया है क्योंकि सदस्यों की आम सहमति से ही किसी देश को इसमें शामिल करने का प्रावधान है।
व्हाइट हाउस के अधिकारी ने से कहा, ‘इस मुद्दे पर शीघ्र ही एक बैठक होने वाली है। अमेरिका उन तरीकों पर विचार कर रहा है जिसमें वह भारत की एनएसजी में सदस्यता संबंधी प्रयास को अधिक सक्रियता से समर्थन दे सकता है क्योंकि यह मामला अमेरिका के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।’ अधिकारी ने ये बातें इन प्रश्नों के उत्तर में कही कि ट्रंप प्रशासन ने भारत को एनएसजी में सदस्यता दिलाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं।
उन्होंने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, ‘अमेरिका भारत की एनएसजी में सदस्यता का बेहद समर्थन करता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है और यह मुद्दा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 26 जून को व्हाइट हाउस में हुई बैठक के दौरान भी उठा था।’
उन्होंने कहा, ‘चीन के साथ विशेष बातचीत के बारे में मुझे नहीं पता कि इस मुद्दे को उठाया गया है अथवा नहीं। यह ऐसा है जिसे वास्तव में अमेरिका समर्थन देता है।’ एनएसजी में सदस्यता में भारत की अर्जी के बाद चीन के निकट सहयोगी पाकिस्तान ने भी सदस्यता के लिए आवेदन दिया है। (एजेंसी)