पिछले कई महीनों से अंतरिक्ष में फंसे 4 वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को धरती पर वापसी कर ली है। लेकिन दुखद है कि अंतरिक्ष में फंसीं सुनीता विलियम्स धरती पर नहीं लौट सकीं है। बता दें कि सुनीता भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री हैं और वे करीब 8 महीने से अंतरिक्ष में ही फंसी हैं।
बता दें कि बोइंग के कैप्सूल में खराबी आ जाने और तूफान मिल्टन की वजह से करीब 8 महीने अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताने के बाद चार अंतरिक्ष यात्री शुक्रवार को धरती पर लौट आए। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से सप्ताह के मध्य में रवाना होने के बाद स्पेस एक्स के कैप्सूल में लौटे ये अंतरिक्ष यात्री पैराशूट की मदद से फ्लोरिडा के तट के पास मैक्सिको की खाड़ी में उतरे।
क्यों नहीं आ पा रहीं सुनीता विलियम्म : जो अंतरिक्षयात्री वापस लौटे हैं, उनकी जगह पर गए स्टारलाइन के दो अंतरिक्ष यात्री भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स और टेस्ट पायलट बुच विलमोर का मिशन आठ दिनों से बढ़कर आठ महीने का हो गया है। मगर अभी तक वह धरती पर नहीं लौट सके हैं। स्पेसएक्स ने चार सप्ताह पहले दो और अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा था। ये सभी फरवरी तक वहीं रहेंगे। अंतरिक्ष स्टेशन में कई महीनों तक क्षमता से अधिक क्रू सदस्यों के रहने के बाद अब वहां उसकी सामान्य क्षमता के अनुरूप सात क्रू सदस्य हैं, जिनमें चार अमेरिकी और तीन रूसी अंतरिक्ष यात्री हैं। सुनती विलियम्स भी स्टारलाइनर कैप्सूल में खराबी की वजह से अब तक वापस नहीं लौट सकी हैं। अभी उनकी वापसी की कोई तारीख तय नहीं हुई है।
दो महीने पहले ही धरती पर लौटना था : बता दें कि जो वैज्ञानिक अंतरिक्ष से वापस लौटे हैं इनमें अमेरिकी और एक रूसी अंतरिक्ष यात्री को दो महीने पहले ही धरती पर लौटना था, लेकिन बोइंग के नए स्टारलाइनर अंतरिक्ष कैप्सूल में समस्या आ जाने के कारण उनकी वापसी में देरी हुई। सुरक्षा चिंताओं के कारण स्टारलाइनर अंतरिक्ष कैप्सूल खाली ही लौटा। इसके बाद तूफान मिल्टन की वजह से समुद्र में खराब हालात और तेज हवाओं के कारण भी उनकी वापसी में दो सप्ताह की देरी हुई। स्पेस एक्स ने मार्च में नासा के मैथ्यू डोमिनिक, माइकल बैरेट और जीनेट एप्स और रूस के एलेक्जेंडर ग्रेबेंकिन को अंतरिक्ष भेजा था। बैरेट ने अपने देश में मौजूद सहायता टीम की सराहना करते हुए कहा, टीम ने हमारे साथ मिलकर पुनः योजना बनाई, पुनः उपकरण लगाए और सब कुछ फिर से किया और इन सभी चुनौतियों से निपटने में हमारी मदद की। Edited by Navin Rangiyal