पिछले महीने हीरानगर के सैडा सोहल गांव में मारे गए 2 आतंकियों ने भी सबसे पहले गांव के कुछ घरों में जबरदस्ती शरण लेकर भोजन और पानी की मांग की थी। हालांकि वे समय पर गांववालों द्वारा पुलिस को सूचित कर दिए जाने के कारण सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए। इधर बिलावर के मच्छेड़ी में हमला करने वाला आतंकियों का दल ऐसा करने में कामयाब रहा था।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, करीब डेढ़ दर्जन युवा आतंकियों के लिए मच्छेड़ी इलाके के गांव सडोता की एक बुजुर्ग महिला ने खाना तैयार किया था। यह जानकारी हमले के शक में पकड़े गए 24 के करीब लोगों से पूछताछ के बाद सामने आई है।
अब यह भी पता चला है कि ये डेढ़ दर्जन के करीब आतंकी बाद में 3 और 4 के गुटों के बंट कर विभिन्न क्षेत्रों की ओर चले गए थे। एक और जानकारी के बकौल, आतंकियों ने कई अन्य घरों से भी भोजन और पानी एकत्र करने की कोशिश की थी पर कामयाब नहीं हो पाए थे क्योंकि आसपास के गांवों में संदिग्धों को देखे जाने की अफवाहों के साथ ही सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान आरंभ कर दिया था।
हालांकि जांच अधिकारी अभी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि मच्छेड़ी में हमला करने वाला गुट इतने दिनों से कहां शरण लिए हुए था। पर वे जोर देकर कहते थे कि हमले में शामिल आतंकी उसी दल के हिस्सा थे जो जून के दूसरे हफ्ते में इंटरनेशनल बार्डर को पार कर इस ओर आया था और इसमें अनुमानतः 2 दर्जन के करीब आतंकी थे।
ओवर ग्राउंड वर्कर भी हैं असली खतरा : यह चौंकाने वाला तथ्य है कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के मोर्चे पर तैनात सुरक्षाबलों के लिए खतरा सिर्फ बंदूकधारी आतंकी नहीं बल्कि उनके ओवर ग्राउंड वर्कर भी हैं। ऐसे में अब सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की ओर ध्यान देने के साथ ही ओवर ग्राउंड वर्करों के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार, जम्मू संभाग को आतंकी हमलों से दहलाने में इन्हीं ओजीडब्ल्यू की अहम भूमिका है।
हालत यह है कि अब प्रदेश में चलाए जा रहे अधिकतर कासो अर्थात तलाशी अभियानों में सुरक्षाबलों का जोर आतंकियों की धर पकड़ से ज्यादा ओवर ग्राउंड वर्करों की तलाश की ओर है। अधिकारियों ने इसे माना भी है कि इन तलाशी अभियानों में अगर कोई ओवर ग्राउंउ वर्कर मिल जाता है तो समझो दो-चार आतंकियों का खात्मा पक्का है।
Edited by : Nrapendra Gupta