chidiya rani ki kahani kids story: यह कहानी बहुत ही रोचक है और अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में माताएं या दानी नानी इस कहानी को बच्चों को सुनाती रहती हैं। हालांकि आजकल कोई इस कहानी को नहीं सुनाता है। एक दूसरी चिड़ा-चिड़ी की कहानी कार्तिक पूर्णिमा के अलगे दिन प्रतिपदा को सुनाते हैं यह कहानी उससे अलग कहानी है। यह कहानी एक चिड़िया और चिड़े की चतुराई की कहानी है।
एक झाड़ पर चिड़ा और चिड़ी घोंसला बनाकर रहते थे। उनके छोटे छोटे बच्चे घोंसले में रहते थे। बच्चों के लिए वे रोज दाना पानी लाते थे। वह वृक्ष एक गहरे कुंड के पास था। उस कुंड के आसपास छोटे-छोटे गड्ढों में भरे पानी को पी लेते थे। एक दिन वे एक तेज हवा के झोके के चलते दोनों उस कुंड में गिर पड़े और उनके पंख के गिले हो जाने के कारण न तो वे उड़ सकते थे और न ही तैर पा रहे थे।
यह सुनकर दोनों सोच में पड़ गए और फिर चिड़े ने चिड़िया से कहा कि पानी में डूबकर तो हम दोनों ही मर जाएंगे। इससे अच्छा है कि कम से कम हम दोनों में से कोई एक तो बचेगा जो अपने बच्चों को संभाल लेगा। तभी चिड़िया के दिमाग में एक आइडिया आती है। वह उस आइडिया को धीरे से चिड़े को कान में बता देती है। बिल्ली समझती है कि यह दोनों आपस में निर्णय कर रहे हैं कि कौन मरने के लिए तैयार होगा।
तभी चिड़िया कहती है, अरे बिल्ली मौसी इतनी भी क्या जल्दी है। अभी खाओगी तो मजा नहीं आएगा क्योंकि चिड़ा गिला है। थोड़ा बहुत सूख जाएगा तब खाना, तब अच्छा मजा आएगा। यह सुनकर बिल्ली कहती है कि बात तो तुमने सही कही। अच्छा चलो सूखने देते हैं।