उन्होंने कहा कि रोजगार के नए अवसर लगभग थम से जाएंगे और वर्ष 2030 के बाद इसमें कमी आनी शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हालांकि रोजगार के अवसर कम होंगे, लेकिन गुणवत्ता बढ़ जाएगी। कर्मचारियों का वेतन बढ़ेगा और कौशल के स्तर पर उनसे अपेक्षा भी बढ़ जाएगी।
कपूर ने कहा कि वाहन कलपुर्जा उद्योग के सामने सरकार की नीतियों में अस्थिरता, निवेश और कुशल मानव संसाधन की कमी जैसी चुनौतियां हैं। अभी इस उद्योग का राजस्व 43.5 अरब डॉलर है जिसे 200 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए 30 से 40 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है।
एक तरफ कंपनियों ने भारत स्टेज-6 के मानकों के अनुसार कलपुर्जों के निर्माण पर निवेश शुरू कर दिया है तो दूसरी तरफ उन्हें पारंपरिक वाहनों के कलपुर्जों के जगह इलेक्ट्रिक वाहनों के कलपुर्जों की तरफ कदम बढ़ाना होगा अन्यथा उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। मसलन एग्जॉस्ट बनाने वाली कंपनियों की जरूरत धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी।