पार्ल। पहले मैच में हार से आहत भारत को अगर 3 मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला को जीवंत बनाए रखना है तो उसके बल्लेबाजों को शुक्रवार को यहां होने वाले दूसरे वनडे में बेहतर प्रदर्शन करना होगा जिसमें केएल राहुल की कप्तानी की भी परख होगी।
राहुल पहले मैच में कप्तान के रूप में नाकाम रहे और अब जबकि उन्हें टेस्ट कप्तानी के दावेदारों में शामिल किया जा रहा है तब इस श्रृंखला में उनके लिए काफी कुछ दांव पर लगा होगा। भारतीय बल्लेबाजों ने भी पहले मैच में निराशाजनक प्रदर्शन किया जिससे टीम को 31 रन से हार का सामना करना पड़ा। जब विराट कोहली कप्तान थे तभी से मध्यक्रम का प्रदर्शन भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है जिसका समाधान अभी तक नहीं खोजा जा सका है।
सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने अर्द्धशतक जमाकर अच्छी वापसी की। उन्होंने कोहली के साथ मिलकर भारत की उम्मीद जगाई लेकिन यह साझेदारी टूटते ही धीमी पिच पर भारतीय मध्यक्रम बिखर गया। दक्षिण अफ्रीका कौशल और रणनीति दोनों मामलों में भारत से अव्वल रहा और ऐसे में राहुल ने कप्तान के रूप में निराश किया।
सबसे अहम सवाल यह है कि अगर वेंकेटश अय्यर से गेंदबाजी नहीं करवानी थी तो वह टीम में क्या कर रहे थे। जब युजवेंद्र चहल और शार्दुल ठाकुर पर रासी वान डर डुसेन और तेम्बा बावुमा हावी होकर खेल रहे थे तब वेंकटेश का उपयोग 6ठे गेंदबाज के रूप में क्यों नहीं किया गया।
यदि वेंकटेश नंबर 6 पर एक विशेषज्ञ बल्लेबाज के रूप में खेल रहे हैं तो सूर्यकुमार यादव को अंतिम एकादश में क्यों न शामिल किया जाए, जो अनुभवी हैं और दबाव में बेहतर बल्लेबाजी करते हैं। एक और सवाल यह उठता है कि क्या राहुल ने तब चहल या रविचन्द्रन अश्विन से बात की जब वान डर डुसेन और बावुमा ने स्वीप शॉट खेलने शुरू किए थे।
राहुल ने गेंदबाजी में भी ऐसे बदलाव नहीं किए जिससे लगे कि वह रणनीतिक रूप से कुशल हैं। इसके विपरीत दक्षिण अफ्रीका ने एडेन मार्कराम से गेंदबाजी की शुरुआत कराई और वह भारतीय कप्तान को आउट करने में सफल रहे। इसके बाद जब भारत बल्लेबाजी कर रहा था तो धवन और कोहली के आउट होने के बाद उसकी हार सुनिश्चित हो गई थी। अचानक ही जो पिच बल्लेबाजी के लिए आसान दिख रही थी वह मुश्किल बन गई।
श्रेयस अय्यर का शार्ट पिच गेंदों के खिलाफ संघर्ष जारी रहा। उन्हें समझना चाहिए कि भारतीय एकादश में जगह बनाना आसान नहीं हैं और इस तरह से मौका नहीं गंवाया जा सकता है। इस पिच पर स्ट्राइक रोटेट करना जरूरी है। ऐसे में ऋषभ पंत और दोनों अय्यर की भूमिका अहम होगी। पहले मैच में इन तीनों ने निराश किया। उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझने की जरूरत है।
शार्दुल ठाकुर ने ऐसे समय में अर्द्धशतक जमाया जबकि भारत की हार तय हो गई थी और किसी तरह का दबाव नहीं था। उनका आकलन हालांकि गेंदबाजी से किया जाएगा जो उनका मुख्य काम है। गेंदबाजी में ठाकुर नाकाम रहे। उन्होंने 10 ओवर 72 रन लुटाए जिससे टीम को नुकसान हुआ। भुवनेश्वर कुमार ने भी वापसी पर निराश किया।
दोनों टीमों के बीच स्पिनरों ने भी अंतर पैदा किया। अश्विन और चहल ने 20 ओवरों में 106 रन दिए और एक विकेट लिया। दक्षिण अफ्रीका की तरफ से मार्कराम, तबरेज शम्सी और केशव महाराज ने 26 ओवर किए, 126 रन दिए और 4 विकेट लिए। भारतीय स्पिनरों को अगले मैच में बेहतर प्रदर्शन करने की जरूरत है। अब दोनों मैचों में राहुल की कप्तानी पर सबकी नजर रहेगी। सीमित ओवरों की तुलना में टेस्ट कप्तानी अधिक चुनौतीपूर्ण होती है और इन मैचों का प्रदर्शन राहुल की दावेदारी के खिलाफ जा सकता है।