नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लगातार विफलता के बाद कुछ दिन पहले अनुभवी भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे सोशल मीडिया पर पुराने (पुजारा और रहाणे के नाम से मिल कर बना) हैशटैग के साथ ट्रेंड कर रहे थे।
दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर छह पारियों में पांच बार विफल होने के बाद एक बार फिर से सोशल मीडिया पर दोनों के खिलाफ काफी कुछ लिखा जा रहा है। टीम प्रबंधन लंबे समय से इन बातों को नजरअंदाज कर रहा है लेकिन इस दौरे के बाद उनके लिए भी इन दोनों का बचाव करना मुश्किल होगा।
हनुमा विहारी, श्रेयस अय्यर और शुभमन गिल (पिंडली की चोट से उबर रहे है) को अंतिम एकादश से बाहर रखते हुए फरवरी-मार्च में श्रीलंका के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की श्रृंखला में भी अगर इन दोनों अनुभवी खिलाड़ियों को जगह मिली तो यह एक उपहास होगा।
केपटाउन में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में जब टीम को इन दोनों बल्लेबाजों से सबसे ज्यादा मदद की जरूरत थी तब वे एक बार फिर से असफल रहे। पुजारा (नौ रन) ने मार्को जेनसन की उठती गेंद लेग साइड में खेलनी चाही लेकिन कीगन पीटरसन ने लेग स्लिप में बड़ी खूबसूरती से उसे कैच कर दिया। इसके बाद रबाडा की उठती गेंद रहाणे के दस्तानों को चूमकर विकेटकीपर काइल वेरेन के दस्ताने से लगकर हवा में उछली और डीन एल्गर ने बाकी काम पूरा किया। रहाणे इस पारी में सिर्फ अपना खाता ही खोल सके।
उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर 22.66 की औसत से सिर्फ 136 रन बनाये जबकि पुजारा का आंकड़ा और भी खराब रहा। उन्होंने इस दौरान 20.66 की औसत से 124 रन बनाये।इस दौरे पर दोनों के बल्ले से सिर्फ 1 अर्धशतक निकला जो दूसरे टेस्ट में आया था।
जब चेतन शर्मा और दूसरे चयनकर्ता भारत में अगली टेस्ट श्रृंखला के लिए टीम का चयन करेंगे, तो इस बात की पूरी संभावना है कि यह आंकड़े इन खिलाड़ियों को टीम से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए काफी होंगे।
किसी और से ज्यादा इन दोनों खिलाड़ियों को भी इस बात का अंदाजा होगा कि उनके लिए समय समाप्त हो गया है। भारतीय क्रिकेट में किसी भी खिलाड़ी को लगातार असफल होने के बाद इतने मौके नहीं दिये गये है, जितने कि रहाणे और पुजारा को मिले हैं।
रहाणे और पुजारा पिछले दो वर्षों से लगातार असफल हो रहे हैं और उन्हें कभी-कभार ही सफलता मिली है। जबकि होना इसका विपरीत चाहिए था।
ऐसा लग रहा था कि टीम प्रबंधन के साथ-साथ चयनकर्ता भी उन्हें सफल होने का भरपूर मौका देने पर तुले हुए हैं। और ये दोनो बार-बार उन्हें गलत साबित कर रहे हैं। शायद यह उचित है कि उन्हें एक ब्रेक (विश्राम) दिया जाए और अन्य विकल्पों पर गौर किया जाए जिससे भारतीय क्रिकेट को फायदा हो।
ये दोनों मैच दर मैच एक ही तरीके में आउट होते जा रहे हैं। कई बार ऐसा लगता है कि उन्हें इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि वे बेखौफ होकर आक्रामक तरीके से खेलना चाहते है या रक्षात्मक तरीके से। पुजारा के मामले में उनकी रन बनाने की धीमी गति दूसरे बल्लेबाजों पर दबाव बना देती है।
रहाणे की फुटवर्क में खामी रही है जिस पर वह लंबे समय से सुधार करने में नाकाम रहे है। तेज गेंदबाजों के खिलाफ ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर वह लगातार एक ही तरीके से आउट हो रहे है।इतने के बाद भी अगर टीम में उनकी जगह बरकरार रहती है तो यह अय्यर और विहारी जैसे खिलाड़ियों के साथ नाइंसाफी होगी।
ट्विटर पर फिर ट्रैंड हुआ Purane
लगातार असफलताओं के बाद भी चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे टीम में बने हुए हैं। बड़ी ही चतुराई से यह दोनों एक अर्धशतक लगाकर अपनी जगह बचा लेते हैं और अगली 10 पारियों में फिर जल्द पवैलियन रवाना हो जाते हैं।