काउंटी क्रिकेटर अजीम रफीक दूसरों पर लगा रहा था नस्लवाद के आरोप खुद कह चुका है यहूदी को अपशब्द

Webdunia
शनिवार, 20 नवंबर 2021 (18:14 IST)
लंदन:कहते हैं कि अगर आप एक उंगली उठाते हो तो 4 उंगलियां आप की ओर इशारा कर रही होती है। कुछ ऐसी ही बात कांउटी क्रिकेटर अजीम रफीक के लिए कही जा सकती है।यॉर्कशर के पूर्व खिलाड़ी अजीम रफीक ने 2011 में यहूदियों के खिलाफ भाषा के प्रयोग के लिये माफी मांगते हुए कहा कि एक अन्य क्रिकेटर को इस तरह के संदेश भेजने के लिये वह शर्मसार हैं।

यॉर्कशर के लिये खेलते हुए संस्थागत नस्लवाद के आरोप लगाने वाले रफीक ने गुरूवार को स्वीकार किया कि 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने यहूदियों के खिलाफ भाषा का प्रयोग करते हुए मैसेज भेजे थे।उन्होंने एक बयान में कहा ,‘‘ मुझे आज 2011 के एक मैसेज की तस्वीर भेजी गई है। मैने अपना अकाउंट चेक किया और यह मैं ही हूं। मेरे पास कोई बहाना नहीं है।’

उन्होंने कहा ,‘‘ मैं इस पर शर्मिंदा हूं और अब मैने इसे डिलीट कर दिया है। मैं उस समय 19 वर्ष का था और अब बदल चुका हूं।’’

रफीक और वार्विकशर तथा लीसेस्टरशर के पूर्व खिलाड़ी अतीक जावेद के बीच के फेसबुक मैसेज सबसे पहले ‘द टाइम्स ’ में प्रकाशित हुए। वह एक अज्ञात यहूदी व्यक्ति के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं।उन्होंने कहा ,‘‘ मैं खुद से खफा हूं और यहूदी समुदाय से माफी मांगता हूं। मैं अपना बचाव नहीं कर रहा और जिन्हें भी ठेस पहुंची है , मैं उनसे माफी मांगता हूं।’’

यॉर्कशायर में नस्लवाद न देखने की जो रूट की टिप्पणी आहत करने वाली थी : रफीक

यॉर्कशायर काउंटी क्लब और इंग्लैंड क्रिकेट में रंगभेद का खुलासा करने वाले इंग्लैंड के पूर्व प्रथम श्रेणी क्रिकेटर अजीम रफीक ने हाल ही में कहा था कि जो रूट का दावा कि उन्होंने कभी भी यॉर्कशायर में रंगभेद नहीं पाया, आहत कर देने वाला था।

पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक रफीक ने कहा कि जब क्लब के साथ उनका कॉन्ट्रेक्ट खत्म होने वाला था तब उन्हें मोटी रकम दी जा रही थी, ताकि वह अपना मुंह बंद रखें। उन्होंने कहा था कि तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकराया और पाकिस्तान चले गए, जहां से वह कभी वापस इंग्लैंड नहीं लौटना चाहते थे।

उन्होंने कहा था, “ मेरे कॉन्ट्रैक्ट में शायद 4-5 महीने बचे थे और मुझे एक गोपनीयता फॉर्म भरने और पैसों का पार्सल लेने के लिए कहा जा रहा था, जो मैंने ठुकरा दिया। उस वक्त ये मेरे लिए काफी बड़ी रकम होती। मेरी पत्नी और मैं संघर्ष कर रहे थे। मैं इस सदमे से गुजरने के लिए मानसिक तौर पर तैयार नहीं था। मैंने देश छोड़ दिया था और पाकिस्तान चला गया। मैं कभी भी वापस नहीं आना चाहता था।

रफीक ने समिति की ओर से पूछे गए एक सवाल के जवाब में भावुक होते हुए कहा , “ यही वजह है कि मैं नहीं चाहता कि मेरा बेटा क्रिकेट के आस-पास भी जाए। यही मौका है जब ईसीबी (इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड) और काउंटियों को बदलाव के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए और बताना चाहिए कि हमने बहुत बड़ी गलती की है और हम इसके लिए ऐसा-ऐसा करेंगे। ”

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