भारतीय दवा से बच्चों की मौतः जवाब चाहते हैं गाम्बिया के लोग

DW
बुधवार, 12 अक्टूबर 2022 (11:30 IST)
-वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
 
भारत में बनी दवा से गाम्बिया में 69 बच्चों की मौत के बाद देश में गुस्सा है। हालांकि पुलिस रिपोर्ट में भारतीय कंपनी का नाम नहीं लिया गया। वूरी बाईलो कीता की 2 साल की बेटी फातोमाता को जब बुखार हुआ तो वह उसे अस्पताल ले गई। डॉक्टरों ने कहा कि उसे मलेरिया हो गया है और पैरासिटामोल की सिरप देकर घर भेज दिया। 1 हफ्ते बाद फातोमाता की मौत हो गई।
 
फातोमाता उन 69 बच्चों में से एक थी, जो एकाएक किडनी फेल हो जाने से मारे गए। जुलाई से अब तक हुईं इन मौतों के लिए जिस सिरप को जिम्मेदार माना जा रहा है, वह भारत में बनी थी। पुलिस ने अपनी शुरुआती जांच में कहा है कि ऐसी 50 हजार बोतलें देश में आई थीं।
 
भारत में बनी और अमेरिकी कंपनी द्वारा आयात की गई खांसी की दवाई को गाम्बिया की पुलिस ने 69 बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार माना है। गाम्बिया के अधिकारियों ने मामले की शुरुआती जांच के बाद यह बात कही है। इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन कह चुका है कि दिल्ली स्थित मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा बनाई गईं 4 दवाओं में डाइथाइलीन ग्लाइकोल और इथाइलीन ग्लाइकोल की मात्रा सुरक्षित मानकों से 'अस्वीकार्य स्तर तक' ज्यादा है, जो घातक हो सकता है।
 
वैसे गाम्बिया की पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में सीधे तौर पर भारतीय कंपनी का नाम नहीं लिया है लेकिन कंपनी की बनाई चारों दवाओं- प्रोमेथाजीन ओरल सॉल्यूशन, कॉफेक्समैलिन बेबी कफ सिरप, मेकऑफ बेबी कॉफ सिरप और मैगरिप एन कोल्ड सिरप का नाम लिया गया है। पुलिस का कहना है कि अमेरकी कंपनी अटलांटिक फार्मास्युटिकल्स ने इन दवाओं की कुल 50 हजार बोतलों को गाम्बिया में आयात किया था।
 
पुलिस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह पुष्ट हो गया है कि बेबी सिरप की इन संक्रमित 50 हजार बोतलों में से 41,462 बोतलें जब्त कर ली गईं है। 8,538 बोतलों का अभी कुछ पता नहीं है। अटलांटिक फार्मास्युटिकल्स ने इस मामले पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है। मेडन ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह 'और सूचनाएं जुटाने की कोशिश कर रही है।'

 
गाम्बिया में गुस्से और दुख का माहौल
 
इस पूरी घटना से गाम्बिया के लोगों में काफी दुख और गुस्सा है। 33 साल की कीता अपनी बेटी फातोमाता के गम में रो-रोकर बेहाल हैं। वे कहती हैं कि वो कुछ खा नहीं पा रही थी। उसके मुंह और नाक से खून निकल रहा था। एक वक्त पर तो मैं दुआ कर रही थी कि उसकी जान ही चली जाए।
 
शनिवार को गाम्बिया के राष्ट्रपति अदामा बैरो ने इस मसले पर राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने कपंनी का आयात लाइसेंस रद्द करने का आदेश दिया और साथ ही वादा किया कि देश के दवा संबंधी कानूनों को बदला जाएगा। लेकिन लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है। कीता कहती हैं कि राष्ट्रपति स्वास्थ्य मंत्री की तारीफ कर रहे हैं जबकि उन्हें तो बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इन बच्चों के लिए न्याय चाहते हैं।
 
घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी लोग अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। मरने वाले बच्चों में से ज्यादातर की उम्र 5 साल से कम थी। उनके फोटो लगातार सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे हैं।
 
भारत में जांच जारी
 
सितंबर में अपना बेटा मूसा खोने वालीं 30 साल की मरियामा कुयाते कहती हैं कि अब सरकार को कदम उठाने चाहिए और ये उत्पाद बंद करने चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते और अन्य सिरप देश में आ गईं तो यह भयानक होगा।
 
यह मामला तब सामने आया जब पिछले हफ्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मेडन फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाई गईं दवाओं को लेकर चेतावनी जारी की। संगठन ने कहा कि उसकी जांच में दवाओं में डाइथाइलीन ग्लाइकोल और इथाइलीन ग्लाइकोल की 'अस्वीकार्य मात्रा' पाई गई। एजेंसी के मुताबिक इन रसायनों के जहरीले असर से किडनी को नुकसान पहुंचता है जिससे मौत भी हो सकती है।
 
गाम्बिया के स्वास्थ्य अधिकारियों ने जुलाई में जांच शुरू की थी जिसके बाद 23 सितंबर को इन दवाओं वापस लेने का आदेश दिया गया। इस बारे में भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन की जांच रिपोर्ट पिछले महीने ही मिल गई थी लेकिन वह अपनी जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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