भोपाल। कर्नाटक और गोवा में आए ‘मानसून’ के असर से मध्यप्रदेश को सुरक्षित रखने के लिए अब कमलनाथ सरकार फ्रंट फुट पर आ गई है। पार्टी विधायकों और नेताओं में नाराजगी खत्म करने के लिए सूबे में जल्द ही निगम मंडलों में नियुक्ति की जाएगी।
भाजपा के इस दावे का कि कर्नाटक और गोवा में आए ‘मानसून’ का असर मध्यप्रदेश में भी दिखाई देगा। इसके बाद सरकार सतर्क हो गई है। सरकार बनने के लगभग 7 महीने बाद अब सरकार निगम मंडलों में नियुक्ति कर पार्टी के विधायकों की नाराजगी खत्म करने और उनको एकजुट करने की कोशिश में लग गई है।
पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि निगम मंडलों में शामिल होने वाले विधायकों और पार्टी नेताओं के नामों पर सहमति बन गई है। भोपाल दौरे पर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच हुई बैठक में इस सूची को अंतिम रूप दे दिया गया और अब जल्द ही इसका ऐलान हो सकता है।
शुक्रवार शाम अपेक्स बैंक के प्रशासक के तौर पर पार्टी के बड़े नेता और ग्वालियर से लोकसभा चुनाव लड़े अशोक सिंह की नियुक्ति कर इसकी शुरुआत भी कर दी गई है। सूत्र बताते हैं कि निगम मंडल में उन विधायकों को जगह मिल सकती है जो खुद को लगातार मंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।
इस बीच कर्नाटक और गोवा में पार्टी में हुई टूट के बाद पार्टी हाईकमान ने मध्यप्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को पूरी तरह एकजुट रहने के निर्देश दिए है।
बताया जा रहा है कि हाईकमान के निर्देश पर ही ज्योतिरादित्य सिंधिया विधानसभा सत्र के बीच में भोपाल आए। अपने दौरे के दौरान जहां सिंधिया विधानसभा पहुंच कर सदन की चर्चा को देखा तो वहीं विधानसभा के मानसरोवर सभागार में मीडिया से बात करते हुए पूरी पार्टी के एकजुट होने और कमलनाथ सरकार के मजबूत होने का दावा किया। इस दौरान सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट के घर पर हुए डिनर के जारिए कांग्रेस ने विपक्ष को कई संदेश भी दिए।
किसी मंत्री का इस्तीफा नहीं! : पिछले लंबे समय से सूबे की सियासत में इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल में शामिल कुछ मंत्रियों के इस्तीफे लेकर कुछ नए चेहरों को शामिल कर सकते हैं, लेकिन अब नए सियासी समीकरणों के बाद पार्टी ने बीच का रास्ता निकला है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ और सिंधिया के बीच हुई बैठक में इस बात पर सहमित बन गई कि सरकार में शामिल किसी भी मंत्री से फिलहाल इस्तीफा नहीं लिया जाएगा।
मीडिया से बात करते हुए सिंधिया ने इसका इशारा करते हुए कहा कि किसी भी सरकार के कामकाज का मूल्यांकन करने के उसे एक साल का समय दिया जाना चाहिए। सिंधिया ने साफ कहा कि मूल्याकांन सभी का होना चाहिए लेकिन सभी को अपनी परफॉर्मेंस के लिए समय दिया जाना चाहिए...