-कुंवर राजेन्द्रपालसिंह सेंगर
बागली (देवास)। लगभग 14 वर्ष पूर्व इंदौर के समाजवादी इंदिरा नगर से विवाह करके बागली स्थित अपने ससुराल पहुंची दो युवतियों ने सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने का नया रास्ता दिखाया। वहीं स्वयं के परिवारों को भी आर्थिक तौर पर सुदृढ़ बनाया।
शुरुआती दिनों में परिवार के संचालन में जूझ रहे पतियों को एक सहारा देने के लिए उन्होंने नगर में चूड़ी निर्माण का काम शुरू करने का प्रयास किया। पहले-पहल ससुराल में विरोध भी झेलना पडा। साथ ही परिवार द्वारा जीविकोपार्जन के लिए किए जा रहे परंपरागत कार्यों में ही जुटने की सलाह व आदेश भी मिलने लगे। लेकिन दोनों के मन में कुछ करने की लगन थी। इसलिए उनके पतियों मोहन व नारायण ने अंततः सहयोग देना स्वीकार कर ही लिया।
बस, यहीं से आत्मनिर्भरता की कहानी आरंभ हुई। 2200 रुपए प्रति लीटर का रसायन, चूड़ी व पाटलों के खाली खोखे और डिजाइनर सामग्री लेकर रजनी व विमला अपने-अपने घरों पर छोटे से चूड़ी उद्योग को जमाने में लग गईं।