भोपाल। राजधानी भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में वेबदुनिया की खबर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान ने अपनी मोहर लगा दी है। मुख्यमंत्री ने कमला नेहरू अस्पताल में अग्निकांड को आपराधिक लापरवाही बताते हुए दोषियों को किसी भी सूरत नहीं बख्शने के निर्देश दिए है।
कैबिनेट की बैठक से पहले अपने संबोधन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में कल एक हृदय विदारक और अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी, जिसके कारण हमारे कई नौनिहाल चले गये। मन और आत्मा व्यथित है। मैंने जांच के निर्देश दिये हैं। यह लापरवाही,आपराधिक लापरवाही है। इसमें जो भी दोषी होगा,उसे बख्शा नहीं जाएगा”।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को प्रदेश के सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में फिर से फायर सेफ्टी का ऑडिट करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है,दूसरी कोई और घटना न घटे, हमें इसकी चिंता करनी है। कुछ व्यवस्थागत परिवर्तन और आवश्यकताएं हैं,उसे किया जायेगा,ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि “कमला नेहरू अस्पताल में घटी इस दुर्भाग्यूपर्ण घटना में कुछ लोगों तथा डॉक्टर्स, नर्स, वॉर्ड बॉय ने अपनी जान हथेली पर रखकर 36 नौनिहालों को बचाने का काम किया। मैं उनको धन्यवाद देता हूं। बच्चों की जिंदगी बचाने वालों को सम्मानित किया जायेगा”।
ग्राउंड रिपोर्ट में लापरवाही का खुलासा- कमला नेहरु अस्पताल में हुए अग्निकांड ने एक बार फिर सरकार के अस्पतालों में सेफ्टी दावों की पोल खोल दी है। अस्पताल में मामूली चिंगारी से भड़की आग के विकराल रुप होने का सबसे बड़ा कारण अस्पताल में आग बुझाने में लगे हाईड्रेंट का बंद होना बताया जा रहा है।
इसके साथ ही प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में स्थित कमला नेहरू अस्पताल ने पिछले 15 सालों से फायर एनओसी लेने की जहमत तक नहीं उठाई। इसके साथ 8 मंजिला कमला नहेरू अस्पताल में आग के साथ किसी भी आपात स्थिति में बचाव के लिए कोई पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। अस्पताल के हर फ्लोर पर लगे फायर एक्सटींग्यूर काम नहीं कर रहे थे।
कमला नेहरु अस्पताल भोपाल गैस पीड़ितों के लिए डेडिकेटेड अस्पताल है और यहां हर दिन बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए पहुंचते है। अस्पताल में अव्यवस्था का आलम यह है कि अस्पताल में दाखिल होने का एक मात्र रास्ता है जो काफी संकरा है, इसके साथ सीढ़ियों पर बड़ी संख्या में इलाज के लिए भर्ती मरीज के परिजन रहते है। इसके साथ यहां ओपीडी के पर्चे बनवाने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगती है।