मध्यप्रेश में विधानसभा चुनावों की तारीखों के एलान से ठीक पहले ग्वालियर-चंबल फिर संवेदनशील हो गया है। बुधवार को ग्वालियर के मेला ग्राउंड गुर्जर समाज के महाकुंभ के बाद जिस तरह से उपद्रवियों ने शहर में उत्पात मचाया और कलेक्ट्रेट कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ करने के साथ हिंसक प्रदर्शन किया उसके बाद पूरा इलाका संवेदनशील हो गया है। पुलिस ने इस मामले में गुर्जर समाज के आयोजकों के खिलाफ FIR करने के साथ उनकी गिरफ्तारी के साथ फरार आरोपियों पर इनाम घोषित कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?-रविवार को गुर्जर समाज ने फूलबाग मैदान में महाकुंभ का आयोजन किया। जिसमें शामिल होने के लिए ग्वालियर-चंबल अंचल के साथ पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में गुर्जर समाज के लोग एकजुट हुए।
महाकुंभ के बाद महाकुंभ में आई भीड़ उग्र हो गई है और उपद्रवियों ने शहर में उत्पात मचाने के साथ कलेक्ट्रेट कार्यालय पर पहले प्रदर्शन किया। प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने बैरिकेड लगाकर प्रदर्शनकारियों को कलेक्ट्रेट के गेट पर ही रोक लिया। हंगामे की सूचना मिलने पर कलेक्टर, एसपी सहित जिले के आला अधिकारी मौके पर पहुचे औ प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश करने लगे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हंगामा शुरु कर दिया औऱ नारेबाजी कर, बैरिकेड्स तोड़ कर कलेक्ट्रेट धावार बोले दिया और जमकर तोड़फोड़ की। पुलिस ने जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो कुछ लोगों ने पुलिस से ही मारपीट और धक्का मुक्की शुरू कर दी। इस दौरान उपद्रवियों ने पुलिस कर्मियों पर पथराव शुरु कर दिया, जिसमें दर्जनों पुलिस कर्मी घायल हो गए। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और भीड़ को तितर बितर करने के लिए लाठी चार्ज किया। गुर्जर महाकुंभ में शामिल हुए उपद्रवियों ने शहर के अलकापुरी, गोविंदपुरी, रेलवे स्टेशन, सिरोल इलाके में भी जमकर हंगामा किया। इस दौरान उपद्रवियों ने राह चलते लोगों पिटाई की और हिंसक प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने गोविंदपुरी इलाके में भीड़ को लाठी चार्ज कर खेदड़ा।
इनके खिलाफ FIR और इनाम?- गुर्जरों के हिंसक प्रदर्शन के बाद पुलिस ने कार्यक्रम के आयोजकों समेत 700 अज्ञात लोगों के खिलाफ fir दर्ज की है। पुलिस ने UP के बिजनौर से बीएसपी सांसद मलूक नागर और मेरठ जिले की सरधना सीट से सपा विधायक अतुल प्रधान पर भी दंगा भड़काने की FIR दर्ज की है। इसके साथ मुरैना से कांग्रेस विधायक राकेश मावई, मध्यप्रदेश कांग्रेस के महामंत्री साहब सिंह गुर्जर, गुर्जर समाज के नेता रामप्रीत सहित 20 लोगों को भीड़ को भड़काने का मामला दर्ज किया है। इसके साथ पुलिस ने आकाश गुर्जर, बनवारी गुर्जर, देबू गुर्जर, भूपेंद्र गुर्जर, प्रदीप गुर्जर पर 5-5 हजार का ईनाम घोषित किया है। पुलिस फरार आरोपियों की तलाश में लगातार छापामार कार्रवाई कर रही है।
सम्राट मिहिर भोज की जाति पर पूरा विवाद?-गुर्जर समाज ग्वालियर के शिवपुरी लिंक रोड स्थित चिरवाई नाका पर लगी मिहिर भोज की प्रतिमा के आसपास से कवर (टीन की चादरों) को हटाने सहित पांच मांगों को लेकर प्रदर्शन करने सड़क पर उतरा था। गुर्जर समाज के प्रदर्शन को देखते हुए मिहिर भोज प्रतिमा स्थल की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी थी। वहां पर बड़ी संख्या पुलिस बल तैनात किए थे।
दरअसल ग्वालियर नगर निगम की ओर से चिरवाई नाका पर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगाई गई थी। प्रतिमा के अनावरण के साथ ही सम्राट मिहिर भोज पर विवाद शुरू हो गया है। विवाद सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर लिखने से शुरु हुआ। नगर निगम ने जो प्रतिमा लगाई उसमें सम्राट मिहिर भोज के आगे गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखा गया। मिहिर भोज को गुर्जर सम्राट लिखने के साथ ही विवाद शुरू हो गया। इसको लेकर क्षत्रिय महासभा और आखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने सम्राट को लेकर अपने-अपने दावे पेश किए। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का तर्क है कि सम्राट मिहिरभोज महान राजपूत क्षत्रिय हैं। इसके संबंध में उन्होंने इतिहास कारों के लेख, शिलालेख व परिहार वंश के सबूत भी रखे हैं तो इसके जवाब में अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने भी तर्क रखा है और इतिहास में उन्हें गुर्जर सम्राट बताते हुए सबूत रखे हैं।
मिहिर भोज की जाति को लेकर उठा विवाद सोशल मीडिया पर आए दिन तूल पकड़ता रहा और धीरे-धीरे यह पूरे ग्वालियर-चंबल अंचल के साथ उत्तर प्रदेश के शहरों तक भी पहुंच गया। वहीं इसको लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर कर दी गई। इसके बाद हाईकोर्ट ने एक जांच कमेटी सभांग आयुक्त की अध्यक्षता व आईजी ग्वालियर जोन की उपाध्यक्षता में बनाई। इसमें संबंधित क्षेत्र के SDM, दो हिस्ट्री के प्रोफेसर भी शामिल हैं।इस बीच विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गर्जुर समाज ने एक बार पूरे विवाद को गर्मा दिया है ।
विवाद के पीछे की सियासत?-विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ग्वालियर-चंबल में मिहिर भोज को लेकर गुर्जर समाज के हिंसक प्रदर्शन ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले अप्रैल में हुए हिंसक प्रदर्शन की यादें ताजा कर दी है। गौर करने वाली बात यह है कि गुर्जर समुदाय साथ उपद्रव करने वालों में मकरंद बौद्ध और पुष्पेंद्र भी शामिल है जिनकी 2 अप्रैल 2018 के दंगों में मुख्य भूमिका थी। ऐसे में अब पूरे विवाद के पीछे किसी की सोची समझी साजिश थी। वहीं गुर्जर समाज के महाकुंभ के आयोजकों का कांग्रेस और बसपा से सीधा जुड़ाव है। ग्वालियर-चंबल जो जातिगत राजनिति का केंद्र रहा है वहां पर कई विधानसभा सीटों पर गुर्जरों का बड़ा वोट बैंक है। ऐसे में अब विधानसभा चुनाव से पहले पूरा विवाद गर्म होने से पार्टियों के नफा-नुकसान से भी जोड़कर देखा जा रहा है।