सरकार ने इसका स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि हर महीने की 1 तारीख़ को मंत्रालय में वन्दे मातरम् गायन की अनिवार्यता को फ़िलहाल अभी रोक कर नए रूप में लागू करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय न किसी एजेंडे के तहत लिया गया है और न ही वंदे मातरम् गायन को लेकर कोई विरोध है। सरकार इसे वापस शुरू करेगी, लेकिन एक अलग रूप में।
मुख्यमंत्री कमलनाथ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकार का यह भी मानना है कि सिर्फ़ एक दिन वंदे मातरम् गायन से किसी की देशभक्ति या राष्ट्रीयता परिलिक्षित नहीं होती है। देशभक्ति व राष्ट्रीयता को सिर्फ़ एक दिन वंदे मातरम् गायन से जोड़ना ग़लत है। जो लोग वंदे मातरम् का गायन नहीं करते हैं तो क्या वे देशभक्त नहीं हैं?
वंदे मातरम् का गायन न होने पर भाजपा के विरोध करने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी हर मुद्दे पर सियासत न करे। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वंदे मातरम् को लेकर बड़ा हमला बोला है। शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा है कि वंदे मातरम् के कारण लोगों के हृदय में प्रज्वलित देशभक्ति की भावनाओं में नई ऊर्जा का संचार होता था। अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की सरकार ने यह परंपरा आज तोड़ दी। पहली तारीख़ को वंदे मातरम् नहीं गाया गया।
शिवराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस शायद यह भूल गई है कि सरकारें आती हैं, जाती हैं लेकिन देश और देशभक्ति से ऊपर कुछ नहीं है। मैं मांग करता हूं कि वंदे मातरम् का गान हमेशा की तरह हर कैबिनेट की मीटिंग से पहले और हर महीने की पहली तारीख़ को हमेशा की तरह वल्लभ भवन के प्रांगण में हो। अगर कांग्रेस को राष्ट्रगीत के शब्द नहीं आते हैं या फिर राष्ट्रगीत के गायन में शर्म आती है, तो मुझे बता दें!