जॉर्ज माइकल के कॅफ़िन पर जब बर्फ़ गिर रही थी, तब उसके ‘लास्ट क्रिसमस’ पर दुनिया में मोमबत्तियाँ टिमटिमा रही थीं
ऐसा ही एक दिसंबर था—सर्दी से ठिठुरता हुआ।
25 दिसंबर 2016 को जब ज़्यादातर लोग चर्च में मोमबत्तियाँ जला रहे थे, ठीक उस रोज़ ही जॉर्ज माइकल के कॅफ़िन को बर्फ़ धीमे-धीमे ढँक रही थी। यही वह दिन था जब उसका ‘लास्ट क्रिसमस’ कई दिलों में गूँज रहा था। यह इत्तेफ़ाक़ ही था कि ‘लास्ट क्रिसमस’ गाने वाला जॉर्ज क्रिसमस सेलिब्रेशन के दौरान ही अपनी नींद में कहीं गुम हो गया।
दो बार ग्रैमी लेने वाला यह ब्रिटिश सितारा उस रात जब अपने कमरे में सोने के लिए गया तो फिर नहीं उठा। बहुत धीमे से उसके किसी पॉप गाने की ‘फिनिशिंग’ की तरह नींद में उसकी धड़कनें बंद हो गई थीं और वह ख़ाली पड़े लंदन के वेम्बली स्टेडियम की तरह ख़ामोश हो गया। कमाल सिर्फ़ यह था कि उसकी मौत के दिन दुनिया के ज़्यादातर हिस्सों में मोमबत्तियाँ टिमटिमा रही थीं।
मैं उन मोमबत्तियों को उसके गाए हुए ‘सोलो के नोट्स’ की तरह जलते-बुझते हुए देखता हूँ, सुनता हूँ।
80’ और 90’ का यह वही दौर था जब भारत का संगीत अपनी सरगम में सबसे मैलोडियस हुआ जा रहा था, ठीक उसी वक़्त यूके और यूरोप के ज़्यादातर शहरों के ऑडिटोरियम के स्टेज पर ब्लैक गॉगल, ब्लैक जैकेट और भूरी दाढ़ी में जॉर्ज माइकल अपनी कामयाबी को एक स्वप्न की तरह एन्जॉय कर गा रहा था, लेकिन उसकी ज़िंदगी के बैकस्टेज में एक बुरा वक़्त उसके लिए बेहद ख़ुफ़िया तरीक़े से उसकी प्रतीक्षा कर रहा था।
पहले होमोसेक्सुअल होने के चलते जॉर्ज को पुलिस हिरासत में लिया गया, फिर गे परेड में शामिल होकर उसने स्वीकार किया कि हाँ मैं ऐसा ही हूँ। फिर ड्रग एंड ड्राइव में फँसा और फिर बहुत धीमे से क्रिसमस की रात नींद के रास्ते कहीं चला गया। कहाँ गया—यह जानने के लिए, उसका संगीत सुना जाना चाहिए।
जॉर्ज अपनी ज़िंदगी में बेहद उम्मीदमंद था। उसने अपने सोलो नंबर ‘लास्ट क्रिसमस’ में गाया भी था :
”Last Christmas, I gave you my heart, But the very next day you gave it away, This year, To save me from tears, I’ll give it to someone special…”
”मैंने तुम्हें अपना दिल दिया और अगले ही दिन तुमने उसे दूर कर दिया।
मैं अब रोऊँ न, मेरे आँसू न गिरे, इसलिए इस साल मैं अपना दिल किसी ख़ास को दूँगा…”
‘लास्ट क्रिसमस’ के ये शब्द लंदन और बाक़ी दुनिया के लिए नए साल के ‘रिजोल्यूशन’ की तरह हो गए थे। जॉर्ज के दीवाने इस गाने की धुन में अपनी मुहब्बत के सारे दुख, धोखे और बेवफ़ाइयाँ गुम कर देना चाहते थे। वे एक नई शुरुआत करना चाहते थे। वे अब भी हर साल दिसंबर के अंतिम दिनों में ‘लास्ट क्रिसमस’ गाते हैं। लेकिन अब स्टेज पर जॉर्ज नहीं है।
वे लोग जो जॉर्ज माइकल के माइकल जैक्सन की छाया में खो जाने को सच मानते और समझते हैं, उन्हें याद करना चाहिए कि सिर्फ़ 53 की उम्र में जॉर्ज के एल्बम्स की 10 करोड़ कॉपी बिक जाना कोई अफ़वाह नहीं थी। इनमें ‘लास्ट क्रिसमस’, ‘केयरलेस व्हिस्पर’ और ‘डोन्ट लेट द सन गो डाउन ऑन मी’ नंबर्स की प्रसिद्धि शामिल है। ‘फ़ेथ’ नाम के एल्बम ने जॉर्ज को अपने वक़्त का स्टार बनाया, एक स्टाइल आइकॅन बनाया। इस एल्बम के एक सोलो ‘आई वॉन्ट योर सेक्स’ ने इस पर प्रतिबंध लगवा दिया और वह रेडियो, एम टी.वी. सब पर प्रतिबंधित हो गया।
मैं जॉर्ज माइकल को क्रिसमस पर इसलिए याद करता हूँ, क्योंकि जब वह गाता है; तब उम्मीदों का उतना ही उजाला आस-पास पसर जाता है, जितना हज़ारों मोमबत्तियों के जलने पर पसरता है।
दिसंबर के इस आख़िरी हफ़्ते में मैं जॉर्ज माइकल को दुनिया के तमाम चर्चों में प्रार्थनाओं के बीच जलती हुई मोमबत्तियों की तरह टिमटिमाता हुआ देखता रहता हूँ।
वह दिसंबर में प्रार्थनाओं की तरह गाता और व्हिस्प्रिंग करता हुआ नज़र आता है।
जॉर्ज माइकल को सिर्फ़ इसलिए याद नहीं किया जाना चाहिए कि वह माइकल जैक्सन की कामयाबी की रोशनी में धुँध बनकर खो गया, बल्कि उसे इसलिए याद किया जाना चाहिए कि माइकल जैक्सन के रहते हुए भी उसने अपनी ऊँचाई नापी थी। माइकल जैक्सन अपनी कामयाबी में ‘मून वॉक’ करता था, तो जॉर्ज माइकल जब अपने पॉप में ‘डोन्ट लेट द सन गो डाउन ऑन मी’ गाता था। उसके इस सूरज का मतलब उसके लिए उसकी ‘आत्मा’ था, जिसे वह कभी नीचे नहीं होने देना चाहता था; इसलिए उसने बहुत साफ़ ढंग से स्वीकारा कि वह गे है। उसने ड्रग ली और फिर जब यह सब उससे सहा नहीं गया तो वह बहुत धीमे से, चुपके से अपनी नींद में ही गुम हो गया—चुप हो गया।