एयर इंडिया की ओर से 26 सितंबर को दी गई जानकारी के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय का बकाया बिल 211.17 करोड़ और विदेश मंत्रालय का बकाया 392.33 करोड़ रुपए है। इससे पहले मार्च में दिए गए जवाब में एयरलाइन ने बताया था कि बकाया बिल 325 करोड़ रुपए के हैं।
10 साल से ज्यादा पुराने बिल : हालिया जवाब में बताया गया कि राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और दूसरी फ्लाइटों से जुड़े कुछ बिल तो 10 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। एयर इंडिया राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के लिए चार्टर्ड विमान उपलब्ध कराती है। एयरलाइंस ने उड़ान की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने कमर्शियल जेट्स में बदलाव भी किए हैं।
एयर इंडिया पर 50 हजार करोड़ का कर्ज : नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने बकाया बिलों के भुगतान का मुद्दा 2016 में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में किया था। उन्होंने कहा था कि भुगतान के लिए भारत सरकार और एयर इंडिया की तरफ से तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए। आरटीआई के जवाब में बताया गया कि कुछ बिल 2006 से अटके हुए हैं। कैग की टिप्पणी के बावजूद सरकार इनका भुगतान नहीं कर रही है। यह स्थिति तब है, जब एयर इंडिया 50 हजार करोड़ से ज्यादा के कर्ज में डूबी हुई है।