एक कार्यक्रम के लिए यहां आए महंत नृत्य गोपाल दास ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आसाराम के प्रति जनमानस की आस्था एवं श्रद्धा है। जेल होना या न होना, यह तो होता ही रहता है। उन्होंने कहा कि ‘वे (आसाराम) महात्मा हैं और इसी कारण से यह सब हो रहा है।
इसकी निंदा नहीं की जा सकती। यह प्रक्रिया है। ठीक है… किसी कारण से वे जेल में चले गए हैं। उन्होंने बताया कि दोष लगाने के लिए कोई न कोई सहारा चाहिए। इस प्रकार से एक सहारा लेकर उन पर (आसाराम) चारित्रिक दोष लगाया गया है, लेकिन वे महात्मा हैं। जब उनसे पूछा गया कि आसाराम पर गलत आरोप लगाए गए हैं क्या, तो इस पर उन्होंने कहा कि आरोप लगते ही रहते हैं। गलत हैं या सही हैं। यह कहा नहीं जा सकता।
साधु एवं महात्माओं की निंदा करने के लिए इस तरह के झूठे आरोप लगाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि कैदियों में सुधार के लिए संतों का जेल जाना भी जरूरी है। जब उनसे पूछा गया कि इससे साधु-संतों की छवि खराब हो रही है, तो इस पर उन्होंने कहा कि किसी की छवि खराब नहीं होती।
एक मछली सारे तालाब को गंदा नहीं कर सकती। ऐसे ही एक महात्मा के जेल जाने से सभी साधु-संतों की छवि खराब नहीं होती। वे किसी कारण से जेल में चले गए हैं। दास ने कहा कि जेल तो भगवान कृष्ण का जन्म स्थान है। वहां जाना भी कोई हर्जा नहीं है। वहां भी जाकर जेल में सुधार करेंगे। कथा एवं सत्संग करेंगे। सारे महात्माओं का जेल में जाना जरूरी है। नहीं तो कौन कथा सुनाएगा जेल के कैदियों को।
अयोध्या राम मंदिर के मामले में उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय भी जनता का रुख देखता है और जनता का रुख देखते हुए उच्चतम न्यायालय भी अनुमति प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि, राम मंदिर का मुद्दा जनता की भावनाओं से जुड़ा हुआ है और इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों का ही राम मंदिर मामले में सकारात्मक रुख है और निश्चित ही दोनों के शासनकाल में राम मंदिर का निर्माण होगा। (भाषा)