खबरों के मुताबिक, चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट बाहुबली के जरिए प्रक्षेपित किया गया था। इससे पहले 14 अगस्त को चंद्रयान-2 को ट्रांस लूनर ऑर्बिट में डाला गया था यानी वह लंबी कक्षा, जिसमें चलकर चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंच रहा है।
चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति 65000 किमी तक रहती है, ऐसे में चंद्रयान-2 की गति को कम करना पड़ेगा। सुबह 8.30 से 9.30 के बीच चंद्रयान-2 को कड़ी परीक्षा देनी होगी। अब यान के तरल ईंधन वाले इंजन को शुरू किया जाएगा, ताकि इसे चंद्रमा की कक्षा के अंदर प्रवेश दिलाया जा सके।
यान के चांद की कक्षा में प्रवेश कर जाने के बाद 2 सितंबर को यह अपने साथ ले जाए गए लैंडर विक्रम को छोड़ देगा। इसके बाद विक्रम लैंडर चांद के 2 चक्कर काटने के बाद 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा। यह सिर्फ चंद्रयान-2 के लिए ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी परीक्षा की घड़ी होगी।