देशव्यापी जनाक्रोश पैदा करने वाली इस वारदात से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार हैं-
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9 अगस्त, 2024 : स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक का शव अस्पताल की तीसरी मंजिल पर सेमिनार हॉल में मिला।
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10 अगस्त, 2024 : कोलकाता पुलिस ने नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया और मामले में एकमात्र आरोपी बताया।
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12 अगस्त, 2024 : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 31 वर्षीय मृत चिकित्सक के घर पहुंचीं और कोलकाता पुलिस से कहा कि उन्हें एक सप्ताह में मामले की गुत्थी सुलझानी होगी, अन्यथा वह जांच सीबीआई को सौंप देंगी। घटना को लेकर जूनियर डॉक्टरों के विरोध के बीच आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्राचार्य संदीप घोष ने इस्तीफा दे दिया। कुछ घंटे बाद सरकार ने घोष को कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया।
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13 अगस्त, 2024: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। साथ ही संदीप घोष को लंबी छुट्टी पर जाने को कहा। सीबीआई ने संजय रॉय को हिरासत में लिया।
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14 अगस्त, 2024 : पश्चिम बंगाल में लाखों लोग 'रिक्लेम द नाइट' विरोध प्रदर्शन के तहत महिलाओं की सुरक्षा की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे। विरोध प्रदर्शनों के बीच, भीड़ ने ताला में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के कुछ हिस्सों में तोड़फोड़ की।
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17 अगस्त, 2024 : आईएमए ने 24 घंटे के लिए देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं को बंद करने का आह्वान किया।
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18 अगस्त, 2024 : उच्चतम न्यायालय ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया।
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20 अगस्त, 2024 : उच्चतम न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने में देरी और हजारों उपद्रवियों को अस्पताल में तोड़फोड़ करने से रोकने में नाकाम रहने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की। न्यायालय ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए 10 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यबल (एनटीएफ) का गठन किया। न्यायालय ने चिकित्सकों के काम पर वापस लौटने को लेकर अस्पताल में सीआईएसएफ की तैनाती का भी आदेश दिया।
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21 अगस्त, 2024 : सीआईएसएफ ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा संभाला। कोलकाता पुलिस ने 14 अगस्त को अस्पताल में हुई तोड़फोड़ के सिलसिले में तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया।
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27 अगस्त, 2024 : छात्र संगठन 'छात्र समाज' ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग करते हुए राज्य सचिवालय नबान्न तक मार्च निकाला। बीच रास्ते में रोके जाने के बाद कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प हुई, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग घायल हो गए।
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2 सितंबर, 2024 : सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों के सिलसिले में संदीप घोष को गिरफ्तार किया।
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10 सितंबर, 2024 : जूनियर डॉक्टरों ने साल्ट लेक में राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय स्वास्थ्य भवन के बाहर धरना शुरू किया, काम रोको आंदोलन जारी रहा।
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14 सितंबर, 2024 : सीबीआई ने संदीप घोष पर डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी करने और सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। एजेंसी ने इसी मामले में ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया।
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16 सितंबर, 2024 : विरोध प्रदर्शनों के कारण पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य सेवाएं ठप होने के बाद आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की।
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17 सितंबर, 2024 : आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ मुख्यमंत्री की बैठक के बाद कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल को हटाया गया, उनकी जगह आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार वर्मा को नियुक्त किया गया। स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) देबाशीष हलदर, चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) कौस्तव नायक और कोलकाता पुलिस के उत्तरी डिवीजन के उपायुक्त अभिषेक गुप्ता को भी हटाया गया।
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19 सितंबर, 2024 : जूनियर चिकित्सकों ने हड़ताल खत्म करने की घोषणा की।
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6 अक्टूबर, 2024 : पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने एस्प्लेनेड में आमरण अनशन शुरू किया, जिसमें सरकार से उनकी बाकी मांगें पूरी करने और मृतका के लिए न्याय सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया।
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7 अक्टूबर, 2024 : सीबीआई ने सियालदह कोर्ट में संजय रॉय के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
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21 अक्टूबर, 2024 : राज्य सचिवालय नबान्न में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद जूनियर चिकित्सकों ने 17 दिन का अनशन खत्म किया।
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12 नवंबर, 2024 : सियालदह अदालत में बंद कमरे में सुनवाई शुरू हुई।
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29 नवंबर, 2024 : सीबीआई ने वित्तीय अनियमितताओं के मामले में 125 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, संदीप घोष को आरोपी बनाया गया।
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13 दिसंबर, 2024 : साक्ष्यों से छेड़छाड़, प्राथमिकी दर्ज करने में देरी से संबंधित मामले में संदीप घोष और अभिजीत मंडल को जमानत मिली, क्योंकि सीबीआई 90 दिनों की अनिवार्य अवधि के अंदर उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रही।
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9 जनवरी, 2025 : सियालदह अदालत में बलात्कार और हत्या मामले की सुनवाई पूरी हुई।
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18 जनवरी, 2025 : अदालत ने संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 (बलात्कार), 66 (मृत्यु का कारण बनना) और 103 (1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराया।
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20 जनवरी, 2025: सियालदह अदालत ने संजय रॉय को मृत्यु होने तक कारावास में रहने की सजा सुनाई, राज्य को मृत चिकित्सक के परिवार को 17 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया। (भाषा)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala