AAP सरकार की शराब नीति के कारण दिल्ली को 2000 करोड़ का घाटा

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025 (14:27 IST)
Delhi faces a loss of Rs 2000 crore due to AAP governments liquor policy: दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को पेश की गई भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार को 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण 2000 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा हुआ है। इसके लिए कमजोर नीतिगत ढांचे से लेकर आबकारी नीति के कार्यान्वयन में त्रुटी सहित कई कारण जिम्मेदार थे।
 
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Chief Minister Rekha Gupta) के नेतृत्व वाली नई सरकार द्वारा पेश की जाने वाली पिछली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के प्रदर्शन पर 14 में से एक रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघनों को भी चिह्नित किया गया है। इसमें बताया गया है कि अब समाप्त हो चुकी नीति के निर्माण में बदलाव सुझाने के लिए गठित एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था। ALSO READ: दिल्ली की CM रेखा गुप्ता का आरोप, खजाना खाली छोड़कर गई AAP सरकार
 
करोड़ों के राजस्व का नुकसान : चुनाव से पहले चर्चा का विषय बने कथित शराब घोटाले पर रिपोर्ट में 941.53 करोड़ रुपए के राजस्व के नुकसान का दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गैर अनुरूप नगरपालिका वार्ड’ में शराब की दुकानें खोलने के लिए समय पर अनुमति नहीं ली गई। गैर अनुरूप क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जो शराब की दुकानें खोलने के लिए भूमि उपयोग मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं।
 
लाइसेंस शुल्क का नुकसान : मुख्यमंत्री द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि आबकारी विभाग को इन क्षेत्रों से लाइसेंस शुल्क के रूप में लगभग 890.15 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, क्योंकि नीति वापस लेने और विभाग द्वारा फिर से निविदा जारी करने में विफलता के कारण इन क्षेत्रों से लाइसेंस शुल्क लिया गया। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी से संबंधित बंद के कारण लाइसेंसधारियों को ‘अनियमित अनुदान’ छूट के कारण 144 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। ALSO READ: महिलाओं को 2500 की योजना पर सियासी घमासान, आतिशी का सीएम रेखा गुप्ता को पत्र
 
जुलाई 2022 में उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) जांच की सिफारिश करने के बाद नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए भाजपा ने इसे लेकर आप पर राजनीतिक हमला किया। मामले में जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद अरविंद केजरीवाल, सिसोदिया और संजय सिंह सहित आप के शीर्ष नेताओं ने महीनों जेल में बिताए।
 
और क्या है रिपोर्ट में : रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘मास्टर प्लान दिल्ली-2021’ में गैर-अनुरूप क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने पर रोक लगाई गई है, लेकिन आबकारी नीति 2021-22 में प्रत्येक वार्ड में कम से कम दो खुदरा दुकानें खोलना अनिवार्य किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, नई दुकानें खोलने के लिए निविदा दस्तावेज में कहा गया था कि कोई भी शराब की दुकान गैर-अनुरूप क्षेत्र में नहीं होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कोई दुकान गैर-अनुरूप क्षेत्र में है, तो उसे सरकार से पूर्व स्वीकृति लेकर खोला जाना चाहिए। ALSO READ: शीशमहल में नहीं रहेंगी दिल्ली CM रेखा गुप्ता, कहां होगा नया ठिकाना
 
दिल्ली सरकार द्वारा पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि आबकारी विभाग ने गैर-अनुरूप क्षेत्रों में प्रस्तावित दुकानों के वास्ते तौर-तरीकों पर काम करने के लिए समय पर कार्रवाई नहीं की और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) एवं दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से टिप्पणी लिए बिना 28 जून, 2021 को प्रारंभिक निविदा जारी की गई।
 
लाइसेंस फीस में छूट : इसके बाद लाइसेंसधारकों ने उच्च न्यायालय का रुख किया। नौ दिसंबर, 2021 को अदालत ने उन्हें 67 गैर-अनुरूप वार्ड में अनिवार्य दुकानों के संबंध में किसी भी लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने से छूट दे दी। इसके परिणामस्वरूप प्रतिमाह 114.50 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस में छूट मिली। रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले की जांच के बाद आबकारी और वित्त विभागों ने प्रस्ताव दिया कि कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण लाइसेंस शुल्क में आनुपातिक छूट पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि निविदा दस्तावेज में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रस्ताव को विभाग के प्रभारी मंत्री ने खारिज कर दिया और 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 की अवधि के दौरान बंद दुकानों के लिए प्रत्येक क्षेत्रीय लाइसेंसधारी को छूट देने को मंजूरी दे दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री (मनीष सिसोदिया) ने यह मंजूरी इस आधार पर दी कि सरकार ने कोविड-19 महामारी को लेकर लॉकडाउन के दौरान होटल, क्लब और रेस्तरां (एचसीआर) को आनुपातिक शुल्क माफी का लाभ दिया था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इससे सरकार को लगभग 144 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
 
भाजपा आरोप लगाती रही है कि आप प्रशासन ने कैग की रिपोर्ट पर रोक लगा रखी थी। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछले बृहस्पतिवार को घोषणा की थी कि नई सरकार के पहले सत्र में रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। लंबित ‘कैग ऑडिट’ में राज्य के वित्त, सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे, वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण, शराब विनियमन और दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज की समीक्षा शामिल है। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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