नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद डोकलाम क्षेत्र में हाल में हुए घटनाक्रम को लेकर भूटान नरेश की भूमिका की सराहना करते हुए बुधवार को कहा कि इस विवाद के दौरान भारत एवं भूटान जिस तरह से एक-दूसरे के साथ मज़बूती से खड़े रहे, वह हमारी मित्रता का उदाहरण है।
कोविंद ने यह बात भारत की यात्रा पर आए भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और महारानी ग्याल्सेन जेत्सुन पेमा वांगचुक के साथ आज यहां से भेंट के दौरान कही। कोविंद ने भूटान नरेश एवं महारानी का स्वागत करते हुए कहा कि उनके राज्यारोहण दिवस की वर्षगांठ पर भारत की यात्रा पर आने और अपने साथ नन्हे युवराज ग्याल्त्से को भी साथ लाने पर प्रसन्नता व्यक्त की और उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।
राष्ट्रपति एवं उनकी पत्नी ने भूटान के नन्हे युवराज को आकर्षक उपहार भी भेंट किए। राष्ट्रपति ने वांगचुक को भूटान नरेश के रूप में सफलतापूर्वक दस वर्ष पूर्ण करने तथा एक स्थिर, खुशहाल एवं समृद्ध भूटान के उनके विज़न के लिए शुभकामनाएं दीं।
कोविंद ने कहा कि भारत एवं भूटान की सुरक्षा चिंताएं एक-दूसरे से जुड़ी हुईं और साझा हैं। उन्होंने डोकलाम क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम एवं उसके समाधान के प्रयासों में भूटान नरेश के निजी तौर पर शामिल होने तथा उनके मार्गदर्शन् एवं सहयोग के लिए उनकी भूरि भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि डोकलाम की स्थिति के समाधान के लिए भारत एवं भूटान जिस प्रकार से एकजुटता से एकसाथ खड़े रहे, वह हमारी मित्रता का उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि भारत भूटान में पर्यावरण और स्थानीय संस्कृति को संरक्षित रखते हुए वहां तीव्र गति से हो रहे विकास को देख कर बहुत प्रसन्न है। भारत को अपने ज्ञान, अनुभव एवं संसाधनों को भूटान के साथ साझा करने की खुशी है। दोनों देशों की विकास साझेदारी भूटान के लोगों एवं सरकार की प्राथमिकताओं पर आधारित है।