हरिद्वार। स्वामी रामदेव ने अपने 29वें संन्यास दिवस पर गंगा के घाट में 100 संन्यासियों को राष्ट्र को समर्पित किया। इनमें 60 विद्वान् ब्रह्मचारी भाई तथा 40 विदुषी बहनें शामिल हैं। साथ ही पूज्य आचार्यजी ने लगभग 500 नैष्टिक ब्रह्मचारियों को दीक्षा दी। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और गृह मंत्री अमित शाह महोत्सव में शामिल हुए। इस अवसर पर आरएसएस के सर संघ चालक मोहन भागवत ने कहा कि सबसे बड़ा त्याग नवसंयासियों के माता-पिता का है जिन्होंने अपने बच्चे को पाल-पोसकर देश, धर्म, संस्कृति और मानवता के लिए समर्पित कर दिया है।
उन्होंने कहा कि आज से लगभग 10 वर्ष पहले का वातावरण ऐसा नहीं था, मन में चिंता होती थी किंतु अब स्थितियां बदल चुकी हैं। यहां युवा संन्यासियों को देखकर सारी चिंताओं को विराम मिल गया है। एक साथ इतनी बड़ी संख्या में संन्यासियों को देश सेवा में समर्पित करना रामराज्य की स्थापना, ऋषि परंपरा तथा भावी आध्यात्मिक भारत के स्वप्न को साकार करने जैसा है।
रामदेव ने कहा कि संन्यास मर्यादा, वेद, गुरु व शास्त्र की मर्यादा में रहते हुए नव संन्यासी एक बहुत बड़े संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हो रहे हैं। ब्रह्मचर्य से सीधे संन्यास में प्रवेश करना सबसे बड़ा वीरता का कार्य है। इन संन्यासियों के रूप में हम अपने ऋषियों के उत्तराधिकारियों को भारतीय संस्कृति तथा परंपरा के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित कर रहे हैं। स्वामीजी महाराज ने कहा कि संन्यासी होना जीवन का सबसे बड़ा गौरव है।
अब से सभी 100 संन्यासी ऋषि परंपरा का निर्वहन करते हुए मातृभूमि, ईश्वरीय सत्ता, ऋषि सत्ता तथा अध्यात्म सत्ता में जीवन व्यतीत करेंगे। गत 9 दिनों से अनवरत चल रहा तप व पुरुषार्थ पूर्ण अनुष्ठान आज पूर्ण हुआ। स्वामीजी ने कहा कि आज हमने नव संन्यासियों की नारायणी सेना तैयार की है, जो पूरे विश्व में संन्यास धर्म, सनातन धर्म व युगधर्म की ध्वजवाहक होगी।
इससे पहले वेदमंत्रों के बीच देवताओं, ऋषिगणों, सूर्य, अग्नि आदि को साक्षी मानकर सभी संन्यास दीक्षुओं का मुख्य विरजा होम तथा मुंडन संस्कार किया गया। संन्यास दीक्षुओं ने शोभायात्रा के साथ वीआईपी घाट हरिद्वार के लाया गया।
पतंजलि विश्वविद्यालय पहुंचे अमित शाह : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रामनवमी सायं पतंजलि विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। इसके पश्चात गृह मंत्री ने विश्वविद्यालय के नवीन परिसर का लोकार्पण किया। शिलापट के अनावरण के पश्चात उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय का भ्रमण किया।
फिर ऋषिग्राम में गत 9 दिनों से चल रहे चतुर्वेदीय महापारायण यज्ञ में पूर्णाहूति भी दी। योग भवन पहुंचकर गृह मंत्री अमित शाह ने एस अवसर पर उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पतंजलि आकर मैं मन में शांति व संतोष लेकर जा रहा हूं कि पतंजलि परिवार आने वाले दिनों में कई क्षेत्रों में देश का पुनरोद्धार करेगा। गृह मंत्री ने कहा कि योग, आयुर्वेद और स्वदेशी के क्षेत्र में स्वामी ने गत 25 साल में अभूतपूर्व योगदान दिया है।
कोई इन्स्टिटूशन कोई संस्था जो योगदान ना कर पाए वह अकेले बाबा ने अपने साथियों के साथ किया है। योग आयुर्वेद और स्वदेशी के आंदोलन के साथ-साथ बाबा ने अब शिक्षा पर भी ध्यान दिया है।
भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय तथा पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के माध्यम से मूल भारतीय परंपरा से हमारे चीर पुरातन ज्ञान को नई ऊर्जा मिलने जा रही है। जल्द ही स्वामीजी का 1 लाख विद्यार्थियों वाली पतंजलि ग्लोबल यूनिवर्सिटी तथा पतंजलि ग्लोबल गुरुकुलम् का सपना पूरा होगा।
गृह मंत्री ने कहा कि स्वामी रामदेव को देखता हूं तो इनमें आयुर्वेद और योग को पुनर्स्थापना करने वाला एक योगी, मल्टी नेशनल कम्पनी के खिलाफ लड़ने वाला स्वदेशी का पुरोधा, विदेशों में योग का एम्बेस्डर, कालेधन के खिलाफ संघर्ष करने वाला एक संन्यासी तथा शिक्षा का सम्पूर्ण स्वदेशीकरण करने वाला एक संकल्पवान शिक्षाविद दिखता है। इनमें वैदिक शिक्षा को पुनः जीवित करने का भगीरथ कार्य किया है। उन्होंने कहा कि आचार्य जी को देखकर आश्चर्यचकित हूं कि वो कैसे कम्प्यूटर की तरह आयुर्वेद के रहस्य समझा रहे थे। आयुर्वेद में 500 से अधिक रिसर्च पेपर्स पब्लिश करना बहुत बड़ी बात है।
स्वामी रामदेव ने कहा कि हम भारतीय शिक्षा बोर्ड तथा पंतजलि विश्वविद्यालय के माध्यम से शिक्षा के स्वदेशीकरण का कार्य करने जा रहे हैं। मैकाले की भ्रष्ट शिक्षा व्यवस्था को समाप्त कर शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन कर गुलामी व दासता की सभी निशानियों को मिटाकर आदर्श महापुरुषों व सनातन को पुनः गौरव प्रदान करने हेतु पतंजलि संकल्पित हैं। रामदेव ने कहा कि सब देशवासियों के रोम-रोम में राम के प्रति आस्था बस गई। उन्होंने कहा कि राम हमारे जीवन से लेकर पूरे जगत में प्रतिष्ठित हों। राम मंदिर के प्रति लोगों का सपना था कि उनकी आँखों के सामने यह ऐतिहासिक कार्य हो जाए। Edited By : Sudhir Sharma