Operation Sindoor : पाकिस्तान में आतंकी संगठन जैश का संचार नेटवर्क ध्‍वस्‍त, लंबे समय से था सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 7 मई 2025 (20:01 IST)
Jaish-e-Mohammed's communication network destroyed : पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर (POK) में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए सटीक हमले का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य सरजाल के तेहरा कलां गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गोपनीय तरीके से संचालित जैश-ए-मोहम्मद का संचार नेटवर्क भी था, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए लंबे समय से चिंता का विषय बना हुआ था। पाकिस्तान के पंजाब राज्य के शकरगढ़ में स्थित सरजाल आतंकी शिविर को इसके संचार ढांचे के कारण महत्वपूर्ण लक्ष्य के रूप में चिन्हित किया गया था, जिसमें उच्च आवृत्ति वाले प्रसारण के लिए डिजाइन किए गए लंबे एंटीना का इस्तेमाल किया जाता था।
 
आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। इस जगह पर उच्च आवृत्ति (एचएफ) संचार व्यवस्था थी, जो जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के साथ गतिविधियों की साजिश रचने और तालमेल करने में आतंकी संगठन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थी। बुधवार तड़के आतंकवादी ठिकानों पर भारत के हमले के दौरान इस नेटवर्क को भी नष्ट कर दिया गया।
ALSO READ: बेटे को मिला इंसाफ, भारतीय सेना ने लिया बदला, Operation Sindoor पर बोले सैयद आदिल के पिता
पाकिस्तान के पंजाब राज्य के शकरगढ़ में स्थित सरजाल आतंकी शिविर को इसके संचार ढांचे के कारण महत्वपूर्ण लक्ष्य के रूप में चिन्हित किया गया था, जिसमें उच्च आवृत्ति वाले प्रसारण के लिए डिजाइन किए गए लंबे एंटीना का इस्तेमाल किया जाता था।
 
सूत्रों ने कहा कि इस संचार ढांचे को निशाना बनाए जाने से जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की सीमा पार अपने आकाओं के साथ संचार व्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी ‘इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस’ (आईएसआई), लोरा (लॉन्ग रेंज) अल्ट्रा सेट और डिजिटल मोबाइल रेडियो (डीएमआर) सहित सैन्य स्तर के संचार उपकरणों की आपूर्ति करती रही है, जिससे आतंकवादियों को पारंपरिक दूरसंचार नेटवर्क से बचकर निकलने में मदद मिलती है।
ALSO READ: Operation Sindoor: इस तरह एयरफोर्स ने 15 दिन में ही निपटा दी पहलगाम हमले की फाइल, हैमर, स्कैल्प, राफेल ने 25 मिनट तक पाकिस्तान में मचाई तबाही
इसके अतिरिक्त, अभियानगत क्षमताओं को बढ़ाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ साथ अपनी दूरसंचार कंपनियों के सिग्नल को मजबूत किया है। इससे घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों को पाकिस्तानी दूरसंचार अवसंरचना का उपयोग करने की अनुमति मिल जाती है, जिससे उनके लिए भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा पकड़े जाने का जोखिम कम हो जाता है।
 
पाकिस्तानी सेना के लिए चीनी निर्माताओं द्वारा विशिष्ट रूप से तैयार किए गए अल्ट्रा सेट, आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले जीएसएम और सीडीएमए रेडियो फ्रीक्वेंसी बैंड के बाहर काम करते हैं। प्रत्‍येक सेट पाकिस्तान स्थित नियंत्रण स्टेशन से जुड़ी रेडियो तरंगों के माध्यम से संचार करता है तथा प्रसारण के लिए चीनी उपग्रहों का उपयोग करता है।
 
उल्लेखनीय बात यह है कि दो अल्ट्रा सेट सीधे तौर पर संचार नहीं कर सकते; इसके बजाय, सरजाल शिविर से कूट संदेश भेजे गए। लोरा मॉड्यूल कम आवृत्तियों का उपयोग करके लंबी दूरी के वायरलेस संचार में सक्षम बनाते हैं, जबकि डीएमआर प्रणालियां बहुत उच्च आवृत्ति (वीएचएफ) और अल्ट्रा-हाई फ्रीक्वेंसी (यूएचएफ) पर दो-तरफ़ा संचार के लिए गैर-सार्वजनिक रेडियो नेटवर्क पर कार्य करती हैं।
ALSO READ: Operation Sindoor में हनुमानजी के आदर्शों का पालन, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले- अशोक वाटिका की तरह उजाड़े आतंकियों के ठिकाने
डीएमआर प्रणाली के आधार पर हाथ में पकड़े जाने वाले वॉकी-टॉकी जैसे उपकरण छोटी दूरी (100 मीटर तक) और लंबी दूरी (100 किलोमीटर से अधिक) पर संचार की सुविधा प्रदान कर सकते हैं, हालांकि पहाड़ों जैसी प्राकृतिक बाधाएं इन संचारों की स्पष्टता को प्रभावित कर सकती हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी