प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की यहां हुई बैठक में इस आशय की मंजूरी दी गई। बैठक के बाद विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि इसके लिए उच्चतम न्यायालय न्यायाधीश (वेतन एवं सेवा की शर्तें) कानून 1958 और उच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन एवं सेवा की शर्तें) कानून 1954 में संशोधन की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि संसद के अगले सत्र में दोनों कानूनों में संशोधनों के लिए विधेयक लाए जाएंगे। बकाया वेतन तथा भत्तों का भुगतान एकमुश्त किया जाएगा।