केरल की कर्ज क्षमता बढ़ाने की मांग पर विचार करेगा केंद्र

Webdunia
गुरुवार, 30 अगस्त 2018 (09:08 IST)
तिरुवनंतपुरम। बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित केरल अब फिर से पटरी पर लौटने के लिए प्रयासरत है और केंद्र ने कहा कि वह राज्य की कर्ज क्षमता बढ़ाने की मांग पर सकारात्मक रूप से विचार करेगा। संसाधनों को गतिशील बनाने के प्रयास के तहत मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने विश्वबैंक के अधिकारियों के साथ चर्चा की और कहा कि राज्य के पुनर्निर्माण के लिए उनकी मदद जरूरी है।


विजयन ने कहा कि सड़कें और पुल बर्बाद हो गए हैं। छोटे कारोबारियों और व्यापारियों की स्थिति बेहद खराब है। ऐसे में अकेले मौजूदा बैंक योजनाएं काफी नहीं हैं। उन्होंने विश्व बैंक से सहायता मांगी है। केंद्र ने कहा कि बारिश और बाढ़ की वजह से हुए नुकसान और बर्बादी पर नए ज्ञापन पर और सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक, बारिश की वजह से करीब 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है हालांकि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा है कि यह इससे कहीं ज्यादा है। केरल में 8 अगस्त के बाद से भीषण बारिश की वजह से 320 से ज्यादा लोगों की जान गई है।

बताया जा रहा है कि एक सदी में यहां ऐसी भीषण बारिश नहीं देखी गई। राज्य स्तरीय बैंकरों की बैठक में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पोन राधाकृष्णन ने कहा कि केंद्र राज्य की कर्ज सीमा बढ़ाने समेत सभी मांगों पर विचार करेगा, जिससे राज्य के बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास और राज्य के फिर से निर्माण के लिए धन जुटाया जा सके।

राज्य ने केंद्र से कहा था कि उसे कर्ज क्षमता को राज्य की मौजूद जीडीपी के तीन फीसदी से बढ़ाकर साढ़े चार फीसदी करने की इजाजत दी जाए और राज्य जीएसटी पर 10 फीसदी सेस लगाने की मंजूरी दी जाए। बाद में राधाकृष्णन ने कहा कि राज्य ने केंद्र को बताया है कि एक नया ज्ञापन तैयार किया जा रहा है। केंद्र का एक दल फिर केरल का दौरा कर नुकसान का आकलन करेगा और उसकी रिपोर्ट के आधार पर सहायता को लेकर कोई फैसला किया जाएगा।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दो दिवसीय केरल दौरे के समापन पर केंद्र सरकार पर बाढ़ प्रभावित केरल को समुचित सहायता उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले पर भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार के दृष्टिकोण को लेकर वह दु:खी हैं। राहुल ने कहा कि वह बाढ़ग्रस्त दक्षिणी प्रदेश के पुनर्निर्माण के लिए संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों से मिलने वाली विदेशी सहायता को स्वीकार करने के पक्ष में हैं। 

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