वहीं, एसोसिएट प्रोफेसर के ST के 65%, OBC के 69%, SC के 51% पद भी रिक्त छोड़ दिए गए हैं। ये सिर्फ लापरवाही नहीं, एक सोची-समझी साजिश है - बहुजनों को शिक्षा, रिसर्च और नीतियों से बाहर रखने की। विश्वविद्यालयों में बहुजनों की पर्याप्त भागीदारी नहीं होने से वंचित समुदायों की समस्याएं रिसर्च और विमर्श से जानबूझकर गायब कर दी जाती हैं।