नई दिल्ली। दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी के पीतमपुरा के मैक्स अस्पताल को 10 साल के बच्चे तथा उसके माता-पिता को 30 लाख रुपए बतौर मुआवजा देने का निर्देश दिया है। अस्पताल में बच्चे के जन्म के समय लापरवाही के कारण उसके बाएं हाथ में स्थाई तौर पर समस्या रहने के कारण आयोग ने यह निर्देश दिया है।
दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग की पीठ ने निजी अस्पताल पर भारी जुर्माना लगाते हुए कहा कि यह अस्पताल के मानव जाति को मानव जाति के रूप में सेवा देने के रुख में गुणात्मक बदलाव लाने के मकसद को पूरा कर सकता है।
आयोग ने सोनीपत के रितेश कुमार गर्ग, आरती गर्ग और उनके बेटे कुश गर्ग को हुई समस्या और मानसिक पीड़ा को लेकर 20 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया। इसके अलावा अस्पताल को 5 लाख रुपए बच्चे की मां को देने को कहा गया।
यह राशि बच्चे को जन्म देने के समय अस्पताल में भर्ती होने से लेकर बच्चे के मुंबई के अस्पताल में इलाज में आई खर्च के एवज में देने का निर्देश दिया गया है। साथ ही 5 लाख रुपए मुकदमे में हुए खर्च के बदलने देने को कहा गया।
सदस्य (न्यायिक) ओपी गुप्त और अनिल श्रीवास्तव की पीठ ने कहा, ‘मानवीय स्पर्श जरूरी है। यह उनकी आचार संहिता है। यह उनका कर्तव्य है और इसे क्रियान्वित करने की जरूरत है।’
अस्पताल ने हालांकि यह दावा किया कि लापरवाही और सेवा में कमी का आरोप गलत और आधारहीन है। उसने कहा कि डॉक्टरों ने पूरी एहतियात बरती और उस समय बच्चे के हाथ में कोई समस्या नहीं पाई गई। (भाषा)