नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने विपक्ष के सदस्यों के निलंबन को वापस लेने के लिए माफी मांगने की सरकार की शर्त पर पलटवार करते हुए मंगलवार को कहा कि उसे बताना चाहिए कि सदन में जनता से जुड़े मुद्दों को उठाना क्या गलत है और इसके लिए क्या माफी मांगी जानी चाहिए।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को जब सदस्यों का निलंबन वापस लेने की बात की तो उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इस संबंध में कहा कि जब तक विपक्ष के सदस्य माफी नहीं मांगते उनका निलंबन वापस नहीं लिया जा सकता है।
गांधी ने इस पर ट्वीट करते हुए पलटकर सवाल किया 'किस बात की माफ़ी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं।'
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद भवन परिसर में विपक्ष के धरने के दौरान पत्रकारों से इस संबंध में कहा कि विपक्ष के सदस्यों का निलम्बन पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है और यह लोकतंत्र की हत्या करने एवं विपक्ष को कुचलने की साजिश है।
उन्होंने विपक्षी दलों की एकजुटता का दावा करते हुए कहा कि हम सब एक हैं और एक स्वर से सरकार के कृत्य की निंदा करते हैं।
बात उठाना और अभद्रता में फर्क : राहुल की बात के जवाब में भाजपा नेता संबित पात्रा ने कू करते हुए कहा कि 'बात उठाना' और 'अभद्रता एवं उत्पात' में फर्क है राहुल जी। 'शालीनता गिराकर' कभी 'बात उठाई' नहीं जा सकती।