प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश वेंगल ईश्वरैया और अन्य की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी करने के साथ ही इसे भी पहले से लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न कर दिया। इस याचिका में भी संविधान (103वां संशोधन) कानून, 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। याचिका में इस कानून को निरस्त करने का अनुरोध करते हुए कहा गया है कि सिर्फ आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
इससे पहले, गैरसरकारी संगठन जनहित अभियान, यूथ फॉर इक्वेलिटी और कांग्रेस समर्थक कारोबारी तहसीन पूनावाला भी इस संविधान संशोधन को शीर्ष अदालत में चुनौती दे चुके हैं। न्यायालय ने इस सभी याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा है। (भाषा)