दुनिया का सबसे स्वच्छ पेट्रोल और डीजल दिल्ली में उपलब्ध

सोमवार, 2 अप्रैल 2018 (20:59 IST)
नई दिल्ली। उत्सर्जन मानकों के लिहाज से दुनिया का सबसे स्वच्छ पेट्रोल व डीजल अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उपलब्ध है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने राजधानी में यूरो-6 मानक के डीजल व पेट्रोल की आपूर्ति शुरू कर दी है।


राजधानी और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक पहुंचने की चुनौती से निपटने के लिए इन कंपनियों ने तय कार्यक्रम से दो साल पहले ही यूरो छह मानक के ईंधन की आपूर्ति कल से शुरू की है। इस तरह से दिल्ली देश का पहला शहर है, जहां यूरो-6 मानक ईंधन की आपूर्ति की जा रही है।

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस अवसर पर कहा कि पेट्रोलियम उद्योग ने स्वच्छ ईंधन उपलब्ध करवाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है और अब वाहन उद्योग को भी ऐसे वाहन लाने चाहिए जो यूरो छह मानक वाले ईंधन का इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने कहा, भारत की वाहन विनिर्माता कंपनियां यूरोप को यूरो छह मानक वाले वाहन निर्यात कर रही हैं। इसलिए उन्हें केवल चालक की सीट में बदलाव करते हुए उक्त वाहनों को यहां पेश करना है। भारत में चालक की सीट दायीं ओर होती है जबकि यूरोप में बायीं ओर। प्रधान ने कहा कि पेट्रोलियम उद्योग ने प्रौद्योगिकी उन्नय व प्रसंस्करण प्र​क्रिया में 30,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है ताकि अति स्वच्छ  बीएस छह पेट्रोल व डीजल बनाया जा सके। बीएस छह, यूरो छह उत्सर्जन मानकों के समान ही है। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2020 से इस ईंधन को देशभर में पेश कर दिया जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित अन्य शहरों नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के अलावा मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे  समेत 13 प्रमुख शहरों में यूरो-6 मानक ईंधन की आपूर्ति अगले साल एक जनवरी से शुरू होगी।

देश के बाकी हिस्सों में यह अप्रैल 2020 से शुरू होगा। दिल्ली की 9.6 लाख टन पेट्रोल तथा 12.65 लाख टन डीजल की सालाना खपत को देखते हुए उत्तर प्रदेश स्थित मथुरा परिशोधन संयंत्र, हरियाणा की पानीपत रिफाइनरी, मध्य प्रदेश के बीना संयंत्र तथा पंजाब के बठिंडा संयंत्र ने स्वच्छ ईंधन का उत्पादन शुरू कर दिया है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए अकेले पानीपत संयंत्र पर ही करीब 183 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वर्ष 2015 में निर्णय किया गया था कि यूरो-6 मानक के अनुकूल ईंधन की आपूर्ति पूरे देश में एक अप्रैल 2020 से शुरू की जाएगी। हालांकि जहरीली धुंध की समस्या को देखते हुए दिल्ली में इसे पहले ही किया जा रहा है। (भाषा)

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