यह तय है कि इस बार मोदी ऐसा कोई संदेश नहीं देंगे, जिससे लोगों को परेशानी हो। क्योंकि दूसरी लहर में जिस तरह लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है, उससे वे पहले से ही सदमे में हैं और कोई झटका सहने को तैयार नहीं है। इसके साथ बंगाल चुनाव में रैलियों और वहां मिली करारी हार के बाद से स्वयं प्रधानमंत्री बैकफुट पर हैं। ऐसे में उनकी कोशिश यह रही रहेगी कि वे जनता को राहत ही दें।