मेरठ में बांग्‍लादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, देश विभाजन की उठी मांग

हिमा अग्रवाल
शुक्रवार, 16 अगस्त 2024 (19:32 IST)
Protest against Bangladesh in Meerut : भारत के पड़ोसी देश बांग्‍लादेश में पिछले कुछ दिनों से हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं, महिलाओं के साथ हो रही शर्मनाक घटनाओं को लेकर पूरे भारतवर्ष के हिन्दू नाराज हैं। जिसके चलते आज क्रांतिधरा मेरठ में मेरठ बंद करके पड़ोसी बांग्‍लादेश को चेतावनी दी गई है कि हिन्दू हितों का हनन हुआ तो सड़कों पर खून बहेगा, एक्शन का रिएक्शन देगा हिन्दू समाज।

हिन्दू जाग गया है, होश में बांग्‍लादेश, रोहिंग्या को भारत से बाहर, हिन्दू का सम्मान, सनातन का अभिमान जैसे नारे और पोस्टर मेरठ की सड़कों पर लहराते नजर आए। हिन्दुत्व का बीड़ा उठाने वाले सनातनियों ने कहा कि मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं, उन्होंने लालकिले से जो संदेश दिया है उसे बांग्‍लादेश समझ जाए। हमारे प्रधानमंत्री बोलते कम हैं और कठोर निर्णय लेकर कर्म करके दिखाने में विश्वास रखते हैं।

मेरठ में संयुक्त व्यापार संघ के बंद के आह्वान पर सनातन प्रेमी सड़कों पर तिरंगा और भगवा झंडा लेकर उतर आए। व्यापारिक संगठनों के साथ डॉक्टरों, कारोबारियों, उद्यमियों, सीबीएसई स्कूल ने दोपहर 1 बजे तक बंद रखकर बांग्‍लादेश के खिलाफ विरोध जताया।। निजी डॉक्टरों ने अपने क्लीनिक बंद रखे, केवल आकस्मिक सेवाओं को जारी रखा।

बांग्‍लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार, बहन-बेटियों की अस्मिता से खिलवाड़ पर आक्रोश सड़कों पर दिखाई दे रहा है। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और नौजवान हाथ में झंडा, पोस्टर लेकर सनातन धर्म को बचाने के लिए सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करते नजर आए।
मेरठ की सड़कें भगवा रंग में रंगकर बांग्‍लादेश को संदेश दे रही थीं कि यह विरोध प्रदर्शन तब तक थमने वाला नहीं है, जब तक कि बांग्‍लादेश अमन की राह पर नहीं चलेगा, हिन्दू को बांग्‍लादेश में पुन: स्थापित नहीं करेगा। वहीं महिलाओं की रक्षा और सुरक्षा के लिए पूरे विश्व के हिन्दू जाग गए हैं। आक्रोशित हिन्दू नेताओं का कहना है कि देवबंद अब चुप क्यों है? हिन्दुओं को भाई-बहन मानते हैं तो देवबंद से फतवा जारी क्यों नहीं हुआ अत्याचार के खिलाफ। वहीं हिन्दूवादी नेता बलराज डूंगर ने बांग्‍लादेश विभाजन की मांग को भी उठाया है।
 
महिलाओं में भी आक्रोश दिखाई दिया, उनका कहना है कि यदि वह घर संभाल सकती हैं, शांति का संदेश देने वाली सीता बन सकती हैं, तो महिला शक्ति समय आने पर रणचंडी और काली मां भी बन सकती हैं, बांग्‍लादेश की सीमा खोल दें,वहां अपने हक के लिए पहुंचकर तलवार, भाला उठाकर सबक सीखा देंगी। मुस्लिम जिहादियों का पैशन बन गया है हिन्दू महिलाओं के साथ दुराचार और अत्याचार करना। खुद को रणचंडी और काली बनाना होगा, महिलाओं को खुद अपनी रक्षा का जिम्मा उठाना होगा।
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सड़कों पर बांग्‍लादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में मेरठ के मेयर, विधायक और सभासद भी शामिल हुए। विधायक अमित अग्रवाल और मेयर हरिकांत आहूवालिया ने कहा कि विपक्ष पूरी तरह से इस मुद्दे पर मौन है, मुस्लिमों के दिल की धड़कन विपक्षियों को सुनाई देती है, सिर्फ यह वोटों की राजनीति करते हैं, बांग्‍लादेश पर चुप्पी साध लेते हैं।

बांग्‍लादेश में मंदिर तोड़े जा रहे हैं, महिला उत्पीड़न हो रहा है, इनके मुंह में दही जम गया है। कोलकाता में डॉक्टर के साथ हुए केस में सामूहिक बलात्कार हुआ है, दोषियों को सजा मिले, लेकिन यह लोग डीएन की मांग पर अड़ गए, बच्चा किसका है, शर्म आनी चाहिए विपक्ष को।
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वहीं सनातन धर्म से जुड़े नेताओं, व्यापारियों और आम जनता को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बड़ी उम्मीदें हैं। उनका मानना है कि प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को बांग्‍लादेश में अपना संदेश पहुंचा दिया है, प्रधानमंत्री बोलते कम हैं और करके दिखाने में विश्वास रखते हैं, जैसे बालाकोट में घर में घुसकर मारा था, वैसे ही करके बांग्‍लादेश को दिखा देंगे। प्रधानमंत्री मधुरता के संदेश वाहक भी हैं, वहीं जरूरत पड़ने पर कठोरता अपनाने से भी परहेज नही करते। ऐसा न हो कि बांग्‍लादेश का हश्र भी पाकिस्तान और श्रीलंका जैसा हो जाए।

सड़कों पर उतरे हिन्दुस्तानियों का कहना है कि भारत में यदि मुसलमान अल्पसंख्यक हैं तो बांग्‍लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। भारत में मुसलमान अधिकारों के साथ जी रहा है, बांग्‍लादेश में उसके साथ फिर अत्याचार क्‍यों? शेख हसीना भारत क्यों भाग आईं, वह हिन्दू के लिए लड़ी क्यों नहीं? मंशा साफ है कि मुसलमान जिहादी है, वह बहन-बेटियों पर अत्याचार करता है, उसके दिल में कुछ और है। हिन्दू अभी शांति से अपना पक्ष रख रहा है लेकिन वह मंदिरों पर हमले बर्दाश्त नहीं करेगा।
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बांग्‍लादेश के खिलाफ मेरठ शहर में अलग-अलग स्थानों पर लोग एकत्रित होकर पैदल और वाहनों से मार्च करते हुए कमिश्नरी चौराहे पर पहुंचे और यहां उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया। ज्ञापन के माध्यम से मांग रखी कि भारत सरकार बांग्लादेश में जो हो रहा है उसमें हस्तक्षेप करें, वहां के हिंदुओं को सुरक्षा मिले अथवा उन्हें सुरक्षित भारत लाया जाए।

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