श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को यहां के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-40 सी के जरिये पृथ्वी अवलोकन उपग्रह कार्टोसैट-2 सहित 31 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया। इसरो ने इसी के साथ अंतरिक्ष में अपने 100वें उपग्रह का प्रक्षेपण करते हुए इतिहास रच दिया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पीएसएलवी सी-40 प्रक्षेपण यान से इन उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। 4 माह पहले ही इसरो ने बैकअप नौवहन प्रक्षेपण यान आईआरएनएसएस-1एच का मिशन लॉन्च किया था। इसे पीएसएलवी-39 से प्रक्षेपित किया था और यह असफल रहा था।
इसरो के चेयरमैन एएस किरण कुमार ने घोषणा की कि कार्टोसैट-2 उपग्रह इस श्रेणी में 7वां उपग्रह है, जो एक नैनो सैटेलाइट है। पीएसएलवी सी-40 प्रक्षेपण यान के उड़ान भरने के बाद 17.33 मिनट के भीतर कार्टोसैट-2 उपग्रह और 28 अन्य वाणिज्यिक उपग्रहों को एक-एक करके सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया।
कुमार ने कहा कि भारत के एक माइक्रो सैटेलाइट को करीब 90 मिनट बाद कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो चौथे चरण का दहन शुरु होने के बाद स्थापित होगा। वाणिज्यिक 28 अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों में 3 माइक्रो और 25 नैनो सैटेलाइट हैं। ये 6 देशों कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के हैं।
इससे पहले 28 घंटे का काउंटडाउन शुरू हुआ, 44.4 मीटर लंबे पीएसएलवी सी-40 की यह 42वीं उड़ान है। इसने सुबह नौ बजकर 29 मिनट पर उड़ान भरना शुरु किया।
वर्ष 2018 का यह पहला मिशन इसरो के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इससे पहले पिछले साल अगस्त में आईआरएनएसएस-1एच को छोड़ने का पीएसएलवी सी-39 मिशन सफल नहीं हुआ था जिसे लेकर वैज्ञानिकों के बीच चिंता बनी हुई थी।
इसरो अध्यक्ष के तौर पर अपने अंतिम मिशन पर किरण कुमार ने कहा कि कार्टोसैट-2 उपग्रह को देश के लिए नए साल के एक तोहफे के रुप में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करते हुए वह बहुत खुश हैं।
उन्होंने मिशन के नियंत्रण कक्ष में कहा, 'इसरो ने 2018 की शुरुआत सफल प्रक्षेपण से की है। सभी वाणिज्यिक (कार्टोसैट और नैनोसैट के अलावा) उपग्रह और एक घंटे बाद छोड़ा जाने वाला माइक्रोसैट सफल रहा है। अब तक कार्टोसैट का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है।'