मोदी के अडानी से क्या हैं रिश्ते, सांसदी छिनने के बाद राहुल गांधी के तीखे सवाल, माफी मांगने से इंकार, जेल जाने को तैयार!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सीधी लड़ाई में राहुल गांधी को अपनी संसद सदस्यता गंवानी पड़ी है। संसद की सदस्यता रदद् होने के फैसले के बाद अब राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर और हमलावर हो गए है। सदस्यता रद्द होने के करीब 24 घंटे के बाद राहुल गांधी ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक के बाद एक मोदी सरकार पर तीखे हमले किए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी के तेवर इस बात के साफ संकेत है कि वह सदस्यता खत्म होने की 'आपदा' को अवसर में बदलने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
राहुल गांधी ने इस पूरे मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाने के सवाल पर कहा कि वह भारत जोड़ा यात्रा के दौरान साढ़े 4 महीने लोगों के बीच रहे। वहीं भाजपा के पूरे मामले को ओबीसी वर्ग से जोड़ने पर राहुल गांधी ने कहा कि यह ओबीसी का मामला नहीं, नरेंद्र मोदी और अडानी के रिश्ते का मामला है। अडानी को 20 हजार करोड़ कहां से मिले और इस पर मुझे जवाब चाहिए।
राहुल के बहाने विपक्ष की मोर्चाबंदी-संसद की सदस्यता खत्म होने के बाद राहुल गांधी को विपक्ष के कई नेताओं का साथ मिला है। ऐसे में जब लोकसभा चुनाव में अब एक साल का समय बाकी बचा है तब राहुल को विपक्ष के नेताओं के साथ मिलने के कई सियासी मायने है। आज राहुल गांधी ने कहा कि वह विपक्ष के सभी दलों का समर्थन करने के लिए वह धन्यवाद करते है और पूरा विपक्ष मिलकर लड़ेंगे। राहुल गांधी ने अपनी सदस्यता रद्द होने को विपक्ष का मोदी के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ा हथियार भी बताया। राहुल गांधी ने कहा कि मोदी पैनिक हो गए है और उन्होंने विपक्ष को सबसे बड़ा हथियार दे दिया है।
गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अन्य दलों को अपने नेतृत्व में एक मंच पर लाना आज कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। संसद सदस्यता रद्द होने के बाद राहुल गांधी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अक्रामक तेवर अपनाना इस बात के साफ संकेत है कि कांग्रेस इस अवसर का फायदा उठाकर राहुल को मोदी के खिलाफ एक चेहरे के तौर पर स्थापित करना चाह रही है।
2024 में मोदी को रोकने के लिए विपक्षी दलों का एक सशक्त गठबंधन बनाने के लिए जरूरी है कि क्षेत्रीय दलों को एक मंच पर लाया जाए। पिछले दिनों राहुल गांधी की अगुवाई में निकली भारत जोड़ो यात्रा में जिस तरह से अखिलेश यादव और मायावती ने जुड़ने से इंकार कर दिया वहीं नीतीश कुमार,ममता बनर्जी, शरद पवार भी खुलकर सामने नहीं आए उससे यह सवाल खड़ा हो गया था कि क्या 2024 में कांग्रेस के नेतृत्व में यह दल एक साथ आएंगे। अब जब राहुल की संसद सदस्यता रद्द हो गई है और कांग्रेस ने इस पूरे मुद्दें पर सड़क लड़ाई लड़ने का एलान कर दिया है तब यह साफ है कि अब 2024 की लड़ाई एक बार फिर राहुल बनाम मोदी हो सकती है।