राहुल गांधी ने बताया कौन है हिंदू और उसका क्या धर्म है?

रविवार, 1 अक्टूबर 2023 (14:42 IST)
Rahul Gandhi on hindu : पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में बताया कि कौन है हिंदू और उसका क्या धर्म है? उन्होंने कहा कि एक हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारतापूर्वक आत्मसात करता है, क्योंकि वह जानता है कि जीवनरूपी इस महासागर में हम सब डूब-उतर रहे हैं। निर्बल की रक्षा का कर्तव्य ही उसका धर्म है।
 
उन्होंने साथ में एक पत्र भी शेयर किया है जिसका शीर्षक है सत्यम् शिवम् सुंदरम्। कल्पना कीजिए, जिंदगी प्रेम और उल्लास का भूख और भय का एक महासागर है और हम सब उसमें तैर रहे हैं। इसकी खूबसूरत और भयावह शक्तिशाली सतत परिवर्तनशील लहरों के बीचोंबीच हम जीने का प्रय़त्न करते हैं। इस महासागर में जहां प्रेम, उल्लास और अथाह आनंद है, वही भय है। मृत्यु का भय, भूख का भय, दुखों का भय.... इस महासागर से आज तक न तो कई बच पाया है और नही बच पाएगा।
 
लेख में कहा गया है कि जिस व्यक्ति में अपने भय की तह में जाकर इस महासागर को सत्यनिष्ठा से देख का साहस है- हिंदू वहीं है। यह कहना कि हिंदू धर्म केवल कुछ सांस्कृतिक मान्यताओं तक ही सिमित है उसका अल्प पाठ होगा। किसी राष्‍ट्र या भूभाग विशेष से बांधना भी उसकी अवमानना है। भय के साथ अपने आत्म के संबंध को समझने के लिए मनुष्यता द्वारा खोजी गई एक पद्धति है हिंदू धर्म। यह सत्य को अंगीकार करने का मार्ग है। यह मार्ग किसी एक का नहीं है मगर यह हर उस व्यक्ति के लिए सुलभ है जो इस मार्ग पर चलना चाहते हैं।
 

सत्यम् शिवम् सुंदरम्

एक हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारतापूर्वक आत्मसात करता है, क्योंकि वह जानता है कि जीवनरूपी इस महासागर में हम सब डूब-उतर रहे हैं।

निर्बल की रक्षा का कर्तव्य ही उसका धर्म है। pic.twitter.com/al653Y5CVN

— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 1, 2023
इसमें कहा गया है कि एक हिंदू में अपने भय को गहनता में देखने और उसे स्वीकार करने का साहस होता है। जीवन की यात्रा में वह भयरूपी शत्रु को मित्र के रूप में बदलना सीखता है। भय उस पर कभी हावी नहीं हो पाता, वरन घनिष्ठ सखा बनकर उसे आगे की राह दिखाता है। एक हिंदू का आत्म इतना कमजोर नहीं होता कि वह अपने भय के वश में आकर किसी किस्म के क्रोध, घृणा या प्रतिहिंसा का माध्यम बन जाये।
 
हिंदू जानता है कि संसार की समस्त ज्ञानराशि सामूहिक है और सब लोगों की इच्छाशक्ति व प्रयास से उपजी है। यह सिर्फ अकेले की संपत्ति नहीं है। ज्ञान के प्रति उत्कट जिज्ञासा की भावना से संचालित हिंदू का अंत:करण सदैव खुला रहता है। यह विनम्र होता है और इस भवसागर में विचर रहे किसी भी व्यक्ति से सुनने- सीखने को प्रस्तुत।

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